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यमन में जकात पाने के लिए भगदड़ ,85 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा घायल

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न्यूज डेस्क
दुनिया में कितनी गरीबी है इसको बानगी यमन की उस घटना में देखी जा सकती है जिसमे यमन की राजधानी सना में आयोजित एक कार्यक्रम में भगदड़ मचने के कारण 85 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे में 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। बताया जा रहा है कि व्यापारियों ने वित्तीय सहायता वितरित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया था। कार्यक्रम में हजारों गरीब लोग एकत्र हुए थे।

हूती नियंत्रित आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान में बताया कि मुसलमानों के पवित्र महीने रमजान के अंतिम दिनों में व्यापारियों द्वारा जकात बांटने के दौरान भगदड़ मच गई। प्रवक्ता ने इस घटना को ‘दुखद’ बताया। लोग जकात पाने के लिए पहले तो लाइन में खड़े रहे लेकिन बाद में इनका सब्र टूट गया और वे एक दूसरे को दबाने लगे ।देखते देखते लोगों की लाशें गिरती चली गई ।

समाचार एजेंसी एपी ने दो चश्मदीदों के हवाले से बताया है कि हूती विद्रोहियों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हवा में फायरिंग की थी, कथित तौर पर गोली एक बिजली के तार से टकरा गई और विस्फोट हो गया। इस घटना के बाद लोग घबरा गए और भगदड़ मच गई। शहर के बाब-अल-यमन इलाके में हुई इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर छाया हुआ है, जिसमें लोग घबराए और भागते नजर आ रहे हैं।

बता दें कि जकात एक तरह का धर्मार्थ दान होता है। प्रत्येक सक्षम मुस्लिम के लिए हर साल अपनी कुल जमा संपत्ति में से ढाई फीसद हिस्सा बतौर जकात गरीबों में बांटना फर्ज होता है।

लेकिन जकात की बात तो सही है और हर गरीबों की मदद भी को जानी चाहिए ।लेकिन असली बात तो यह है कि इस दुनिया में अमीरी और गरीबी की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है । हर देश में गरीबों को संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अभी पिछले दिनों पाकिस्तान में भी आटा की थैली बांटते समय दर्जन भर लोग मारे गए ।पाकिस्तान की हालत भी बेहद खराब है। सरकार को पहले इंसान का पेट भरने को व्यवस्था करनी चाहिए।

भारत की हालत भी कोई अच्छी नहीं है। सरकार की तरफ से पिछले तीन साल से 81 करोड़ लोगों को पांच किलो अनाज दी जा रही है। कल्पना कीजिए कि अगर अनाज देने की कहानी को रोक दिया जाए तब क्या होगा। सच तो यही है कि पिछले कुछ दशक में सरकार की नीतियां भी अमीरों के लिए ही बन रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो दुनिया के किसी भी देश में गरीब और अमीरों के बीच जब संग्राम छिड़ेगा तो कोई बचाने भी नही आयेगा। सरकारें फिर कहां टिक पाएंगी ।

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