न्यूज़ डेस्क
यूपी की योगी सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है। उम्मीद की जा रही थी कि इस बार बिजली की दरें बधाई जाएगी लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग (यूपीएसईआरसी) ने वर्तमान वर्ष में बिजली की दरें यथावत रखी हैं। आयोग ने पहली बार ग्रीन एनर्जी के लिए भी अलग से दरे निर्धारित की हैं। इतनी ही नहीं नियामक आयोग ने ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए स्लैब में परिवर्तन करते हुए 300 यूनिट प्रतिमाह से अधिक खर्च करने वाले परिवारों के लिए बिजली दरें घटा भी दी है। नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड के क्षेत्र में आने वाले उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें 10 फीसदी कम कर दी गई हैं। इसका फायदा ग्रेटर नोयडा में रहने वालों को होगा। कहा जा रहा है कि अगले साल जो लोकसभा चुनाव होने हैं उसे देखते हुए ही ऐसा निर्णय लिया गया है।
नियामक आयोग ने जनसुनवाई के बाद गुरुवार को बिजली दरों का एलान करते हुए उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। कारपोरेशन से संबद्ध सभी वितरण कंपनियों ने बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव नियामक आयोग के सामने रखा था। बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग के सामने बिजली दरें 18 से 23 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बीते चार सालों से घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें नहीं बढ़ायी गयी हैं। नियामक आयोग ने अपने आदेश में सभी बिजली कर्मचारियों को घरेलू उपभोक्ता मानते हुए उनके घरों पर अनिवार्य रूप से मीटर लगाने को कहा है। इसके बाद अब बिजली कंपनियों के कर्मचारी मुफ्त मे बिजली का उपयोग नहीं कर सकेंगे।
अपने आदेश में नियामक आयोग ने स्मार्ट मीटर पर होने वाले खर्च को खारिज करते हुए कहा है कि बिजली कंपनियां अपनी दक्षता को सुधार कर उसकी भरपाई करें। आयोग ने ट्रांसमिशन टैरिफ 26 पैसे प्रति यूनिट तय किया है।
आयोग के आदेश का स्वागत करते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां पिछले 4 वर्षों से बिजली दरों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। वही दूसरी तरफ प्रदेश की बिजली कंपनियों पर इस बार फिर लगभग 7988 करोड रुपये उपभोक्ताओं का ही सरप्लस निकल आया है विद्युत नियामक आयोग ने मुआवजा कानून देरी से लागू करने के लिये उसके मद में जो 1000 करोड़ पहले अनुमोदित किया था उसमें 50 फीसदी कटौती कर अब केवल 500 करोड़ कर दिया है।
विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2023- 24 के लिए बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल 92564.89 करोड़ के वार्षिक राजस्व आवश्यकता को ना मानते हुए केवल 86579.51 करोड वार्षिक राजस्व आवश्यकता अनुमोदित की गई साथ ही बिजली कंपनियों द्वारा जो 140.96 बिलियन यूनिट की खरीद दिखाई गई थी उसके सापेक्ष 133.45 बिलियन यूनिट की खरीद अनुमोदित की गई है। बिजली कंपनियों द्वारा जो वितरण हानियां 14.90 फीसदी मांगी गई थी विद्युत नियामक आयोग द्वारा केवल 10.30 फीसदी ही माना है।
यूपी के तीन करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं को मिली राहत ,चुनावी वर्ष में बजली दरें नहीं बढ़ी
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