न्यूज़ डेस्क
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय बसवराज बोम्मई सरकार ने मुस्लिमों पर 4% आरक्षण हटाने का फैसला लिया था। इस मामले पर आज मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी है। हालांकि, बोम्मई सरकार ने भरोसा दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि 4% मुस्लिम आरक्षण को हटाकर लिंगायतों और वोक्कालिगा समुदाय को 2-2% आरक्षण की बढ़ोतरी के फैसले को अभी लागू नहीं किया जाएगा। फिलहाल, इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 25 जुलाई तय हुई है।
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान होम मिनिस्टर अमित शाह और सीएम बसवराज बोम्मई मुस्लिम कोटे का मुद्दा उठा रहे हैं। लेकिन, यह मुद्दा तो सुप्रीम कोर्ट में है. इस पर जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि न्यायिक मामले के बारे में किसी को भी इस तरह का बयान देना उचित नहीं है। वकील ने कहा कि इस तरह के तर्क को मौखिक रूप से नहीं उठाना चाहिए, याचिकाकर्ता को इस पर हलफनामा देना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि राजनीतिक बयानों में हम नहीं पड़ना चाहते।
भारत के कुल पांच राज्यों में सभी मुस्लिमों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू है। दक्षिण भारत के इन पांच राज्यों में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक है। मगर, पिछले दिनों कर्नाटक में मुस्लिमों को दिया गया आरक्षण समाप्त कर दिया गया था। दरअसल, सीएम बोम्मई की सरकार ने मार्च में ओबीसी आरक्षण में बदलाव करते हुए मुस्लिम कोटे को बाहर कर दिया था। ओबीसी आरक्षण में 4% मुस्लिम कोटा था। जिसे खत्म करके वीरशैव-लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों को शामिल किया गया और 2-2 प्रतिशत बांट दिया गया।
वहीं, विपक्षी पार्टियों का आरोप लगाया है कि कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है, इसलिए राज्य में ऐसा हुआ है। चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ऐसा कर रही है। उधर, बीजेपी का कहना है कि उसने कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण को हटाकर भारत के संविधान की रक्षा करने का काम किया है।


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