बीरेंद्र कुमार झा
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल किए जाने की स्थिति में देश की आर्थिक बदहाली के खतरे की ओर आगाह किया। उन्होंने कहा कि सत्ता पाने के लिए पुरानी पेंशन योजना पर लौटने की बात हो रही है,लेकिन समाज को बहस करना चाहिए कि क्या ऐसे कदमों से भविष्य में देश में श्रीलंका और पाकिस्तान सरीखा भीषण आर्थिक संकट पैदा नहीं हो जाएगा?
सरकारी सेवकों के वोट की चिंता में पुरानी पेंशन योजना की हो रही शुरुआत
राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश इंदौर की सामाजिक संस्था अभ्यास मंडल की ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला के तहत नए दौर की चुनौतियां विषय पर संबोधित कर रहे थे। गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने पुरानी पेंशन योजना 1 अप्रैल 2004 से बंद कर दी थी और इसके स्थान पर नई राष्ट्रीय पेंशन योजना की शुरुआत की थी। हरिवंश ने कहा कि अब सत्ता पाने के लिए वापस पुरानी पेंशन योजना पर जाने की बात हो रही है,क्योंकि सरकारी कर्मचारी संगठित हैं और इस कारण यह एक बड़ा वोट बैंक है। उन्होंने कहा कि जिन पांच राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल की है, उनके सरकारी खजाने पर कुल मिलाकर ₹3लाख करोड़ का बोझ बढ़ गया है। हरिवंश में पुरानी पेंशन योजना बहाल करने वाले राज्यों में शामिल राजस्थान का उदाहरण देते हुए कहा कि राजस्थान सरकार के इस कदम से राजस्थान के कुल राजस्व का 56% हिस्सा सरकारी कर्मचारियों पर खर्च होगा। उन्होंने देश में पुरानी पेंशन योजना लागू किए जाने पर सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ने के आशंकित दुष्परिणामों पर जोर देते हुए कहा कि क्या हम भविष्य में अपने देश में श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी स्थितियां पैदा करना चाहते हैं?