न्यूज़ डेस्क
राजनीति में कब कौन पलटी मार दे यह कौन जानता है। राजनीति का दूसरा नाम ही पलटी मारना है। सभी दलों को पलटीमार राजनीति का स्वाद चखना पड़ा है। कांग्रेस में तो इस राजनीति का लंबा इतिहास ही रहा है। आज कांग्रेस से निकल कर जितनी क्षेत्रीय पार्टियां बनी हुई है ,और कई राज्यों में मजबूती से खड़ी होकर कांग्रेस को ही ललकार रही है उसकी कहानी भी पलटीमार राजनीती से ही जुडी है। कइयों ने कांग्रेस से निकल कर बीजेपी को मजबूत किया तो कइयों ने अपने नेतृत्व में पार्टी ही तैयार कर ली। ज सबके सब क्षत्रप कहलाते हैं। इन क्षत्रपों को सबसे ज्यादा चीढ़ कांग्रेस से ही है। सचिन पायलट भी इसी राह पर हैं। कांग्रेस और खासकर राहुल और प्रियंका आज भी सचिन को काफी चाहते हैं लेकिन क्या चाहत भर से किसी की राजनीति स्थिर रह सकती है ? आजकल सचिन अपनी जमीन तैयार कर रहे हैं। कांग्रेस में रहते हुए गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा लिए राजस्थान को नाप रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या सचिन सच में कोई नया पैतरा तैयार कर रहे हैं ?
बता दें कि पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं टोंक विधायक सचिन पायलट की जनसंघर्ष यात्रा का समापन सोमवार को जयपुर में आमसभा से हुआ। कार्यक्रम के मंच और पंडाल तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भरा था लेकिन तेवर एकदम विपक्ष सरीखे। ऐसा लगा कि राज्य में विपक्ष की भूमिका अब कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों के धड़े ने संभाल ली है।
जनसंघर्ष यात्रा के समापन का बैनर भी अपने आप में बहुत कुछ ऐसा ही बोल रहा था। कार्यक्रम में सर्वाधिक चर्चा बैनर पर कांग्रेस के चुनाव चिह्न हाथ की बजाय हाथ में मशाल थामे चित्र की है। यह चित्र पायलट के नई दिशा पकड़ने की तरफ इशारा करता नजर आया। फिलहाल राज्य में किसी भी दल को यह चिन्ह आवंटित नहीं है लेकिन महाराष्ट्र में शिवसेना का यह चुनाव चिह्न है। लिहाजा राज्य में यह किसी को आवंटित नहीं हो सकता।
बैनर पर एक तरफ महात्मा गांधी, भीमराव अम्बेडकर और भगत सिंह की तस्वीर लगाई गई। साथ ही दूसरी तरफ जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी को जगह दी गई है। बैनर में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा व मल्लिकार्जुन खरगे को जगह नहीं दी गई।
बता दें कि कांग्रेस के जो 19 विधायक मानेसर गए थे, उनमें से 12 मंच पर नजर आए। जो सभा में शामिल नहीं हुए, उनमें से 4 फिलहाल मंत्री और एक विधायक हैं। दो विधायकों का पहले ही निधन हो चुका है। खास बात यह रही कि इस धड़े में अब 4 नए विधायक जुड़े गए हैं। यह वे विधायक हैं जो अब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ थे। समापन सभा में 28 मौजूदा और पूर्व विधायक, 5 विभिन्न बोर्डों के अध्यक्ष, 7 प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारी, 10 जिला अध्यक्ष और लोकसभा एवं विधानसभा में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडऩे वाले 17 प्रत्याशी नजर आए। अब इसका आप जो अर्थ लगाना है लगाते रहिये। सचिन अब कोई फैसला लेकर ही रहेंगे। कांग्रेस भले ही इस खेल को देख रही है लेकिन समय से पहले कोई बड़ा निर्णय नहीं लिए गया तो कांग्रेस को रजस्थान में मुश्किलों का सामना करना पडेगा।


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