बीरेंद्र कुमार झा
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक लेख में हिंदू धर्म पर विचार रखे हैं। राहुल गांधी लिखते हैं कि हर प्रकार के पूर्वाग्रह व भय से मुक्ति पा सत्य के समुद्र में समा जाना ही असली हिंदू धर्म है।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपना लेख साझा किया। इसमें राहुल गांधी लिखते हैं की सत्य और अहिंसा ही एकमात्र रास्ता है। निर्बल की रक्षा का कर्तव्य ही हिंदू का धर्म है। हिंदू धर्म को कुछ मान्यताओं तक सीमित नहीं रखा जा सकता है और न ही उसे किसी राष्ट्रीय भौगोलिक दायरे तक बांधा जा सकता है। राहुल ने अपने लेख में लिखा है कि यह कहना कि हिंदू धर्म केवल कुछ सांस्कृतिक मान्यताओं तक सीमित है, उसका अल्प पाठ होगा। किसी राष्ट्र या भूभाग विशेष से बांधना भी उसकी अवमानना है।
सत्यम शिवम सुंदरम
कल्पना कीजिए जिंदगी प्रेम और उल्लास का,भूख और भय का एक महासागर है और हम सब उसमें तैर रहे हैं।इसकी खूबसूरत और भयावह शक्तिशाली और सतत परिवर्तनशील लहरों के बीचों बीच हम जीने का प्रयत्न करते हैं। इस महासागर में जहां प्रेम उल्लास औरअथाह आनंद है, वहीं भय भी है मृत्यु का भय , भूख का भय,दुखों का भय, लाभ- हानि का भय,भीड़ में खो जाने और असफल रह जाने का भय। इस महासागर में सामूहिक और निरंतर यात्रा का नाम जीवन है। जिसकी भयावह गहराइयों में हम सब तैरते हैं।भयावह इसलिए क्योंकि इस महासागर से आज तक ना तो कोई बच पाया है और न ही बच पाएगा।
जिस व्यक्ति में अपने भय की तरह में जाकर इस महासागर को सत्य निष्ठा से देखने का साहस है, हिंदू वही है। यह कहना कि हिंदू धर्म केवल कुछ सांस्कृतिक मान्यताओं तक सीमित है उसका अल्प पाठ होगा।किसी राष्ट्रीय भूभाग विशेष से बांधना भी उसकी अवमानना है भय के साथ अपने आत्मा के संबंध को समझने के लिए मनुष्यता द्वारा खोजी गई एक पद्धति है हिंदू धर्म। यह सत्य को अंगीकार करने का एक मार्ग है। यह मार्ग किसी एक का नहीं है।मगर यह हर उसे व्यक्ति के लिए सुलभ है जो इस पर चलना चाहता है।
एक हिंदू अपने अस्तित्व में समस्त चराचर को करुणा और गरिमा के साथ उदारता पूर्वक आत्मसात करता है ,क्योंकि वह जानता है कि जीवन रूपी इस महासागर में हम सब डूब- उतर रहे हैं।अस्तित्व के लिए संघर्षरत सभी प्राणियों की रक्षा वह आगे बढ़कर करता है।सबसे निर्बल की चिताओं और बेआवाज चीखों के प्रति भी वह सचेत रहता है।निर्बल की रक्षा का कर्तव्य भी उसका धर्म है। सत्य और अहिंसा की शक्ति से संसार की सबसे असहाय पुकारों को सुनना और उसका समाधान ढूंढना ही उसका धर्म है।
एक हिंदू में अपने भय को गहनता में देखने और उसे स्वीकार करने का साहस होता है जीवन की यात्रा में वह भय रूपी शत्रु को मित्र में बदलना सीखता है।भय उसे पर कभी हावी नहीं हो पाता है वरन घनिष्ठ सखा बनकर उसे आगे की राह दिखाता है। एक हिंदू का आत्मा इतना कमजोर नहीं होता कि वह अपने भय के बस में आकर किसी किस्म के क्रोध, घृणा अथवा प्रतिहिंसा का माध्यम बन जाए।
हिंदू जानता है कि संसार की समस्त ज्ञान राशि सामूहिक है और सब लोगों की इच्छा शक्ति व प्रभाव प्रयास से उपजी है। यह सिर्फ उसे अकेले की संपत्ति नहीं है। सब कुछ सबका है। वह जानता है कि कुछ भी स्थायी नहीं और संसार रूपी महासागर की धाराओं में जीवन लगातार परिवर्तनशील है।ज्ञान के प्रति उत्कट जिज्ञासा की भावना से संचालित हिंदू का अंतःकरण सदैव खुला रहता है। वह विनम्र होता है और इस भवसागर में विचार रहे हैं किसी भी व्यक्ति से सुनने सीखने को प्रस्तुत रहता है।
हिंदू सभी प्राणियों से प्रेम करता है वह जानता है कि महासागर में तैरने के सबके अपने-अपने रास्ते और तरीके हैं। सबको अपनी राह पर चलने का अधिकार है।वह सभी रास्तों से प्रेम करता है ,सबका आदर करता है और उसकी उपस्थिति को बिल्कुल अपना मानकर स्वीकार करता है।