अखिलेश अखिल
कौन किस पर भारी है यह तो 2024 के चुनावी जंग में ही पता चलेगा। 2024 का चुनाव मौजूदा राजनीति का सबसे बड़ा चौसर है। विपक्ष को लग रहा है कि अगर इस चुनाव में चूक गए तो आगे उनकी राजनीति नहीं बचेगी और मौजूदा सरकार और बीजेपी को लग रहा है कि सत्ता गई तो उसके साथ भी वही होगा जो लम्बे समय से वह विपक्षी पार्टियों के साथ कर रही है। शायद उससे भी ज्यादा खतरनाक। दुश्मनी में बदली चुकी मौजूदा राजनीति का सच यही है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष कोई भी अपनी सतही राजनीति से बाज आने को तैयार नहीं है। एक तरफ अमित शाह अपनी मुछ पर ताव देते हुए आगामी चुनाव को हर हाल में जितने को तैयार हैं तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार किसी भी सूरत में बीजेपी को सत्ता से हटाने पर आमदा हैं। सत्ता की यह लड़ाई किसी महाभारत से कम नहीं है। इस पूरी लड़ाई में देश का सारा तंत्र जुड़ा हुआ है और कह सकते हैं कि जिस मीडिया की भूमिका नेताओं पर लगाम कसने की थी वह भी सत्ता का गुलाम हो चला है। आजाद भारत का यह ऐसा सच है जिसे कहने में भी अब शर्म आती है कि देश की मीडिया सत्ता की दलाली करने में इतनी गिर चुकी है जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी।
संसद का मॉनसून सत्र अगले सप्ताह से शुरू होने जा रहा है। सत्ता पक्ष की अपनी तैयारी है जबकि विपक्ष की पानी तैयारी। विपक्ष सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी में है जबकि सत्ता पक्ष की यह कोशिश है कि किसी भी तरह सत्र बीत जाए और सवालों से बचते रहे। सच तो यही है कि मौजूदा राजनीति में अब कोई भी सरकार संसद सत्र को मांहि चाहती। पहले संसद सत्र का इन्तजार किया जाता था ताकि जनता के मुद्दों को उठाया जा सके। जनता भी इसकी प्रतीक्षा करती थी। लेकिन अब जनता को सत्र से कोई लेना देना नहीं। उसकी कमर तो इतनी तोड़ दी गई है कि देश के भीतर क्या हो रहा है इसकी सुध भी नहीं रहती। तो देश में अगले हफ्ते सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी दलों के बीच बड़ा राजनीतिक टकराव देखने को मिलेगा।
इधर 18 जुलाई को एक तरफ एनडीए तो दूसरी तरफ कई विपक्षी दल अपनी ताकत का शक्ति प्रदर्शन करेंगे। इससे पहले एनडीए और विपक्षी पार्टियां, दोनों ही अगले साल के आम चुनावों से पहले संख्या बल बढ़ाने में जुटे हुए हैं।
एनडीए ने 18 जुलाई को नई दिल्ली में एक मेगा बैठक की घोषणा की है। उम्मीद है कि लगभग 30 दल गठबंधन का समर्थन दोहराएंगे। वहीं, इसी दिन 24 विपक्षी दल अपने मतभेदों को दूर कर एक प्रस्ताव पेश करने के लिए बेंगलुरु में बैठक करेंगे। यह बैठक बीजेपी को घेरने के लिए है और उसे अगले लोकसभा चुनाव में हराने को लेकर है। कहा जा रहा है कि बैठक होने तक विपक्षी दलों की संख्या में भी इजाफा होना है। इस बैठक में खुद सोनिया गाँधी भी पहुंच रही है। सोमवार से देश भर के नेता बेंगलुरु पहुंचना शुरु कर देंगे।
एनडीए की बैठक की अध्यक्षता बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। अपने गठबंधन सहयोगियों के अलावा, बीजेपी ने कई नए सहयोगियों और कुछ पूर्व सहयोगियों को भी बैठक में आमंत्रित किया है। ये बैठक 18 जुलाई की शाम को दिल्ली के अशोका होटल में होनी है।
इस बैठक में बिहार से चार नेताओं को बुलाया गया है। इसमें लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र सिंह कुशवाहा और विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी शामिल हैं। उनकी पार्टियों को एनडीए में शामिल किया जा सकता है।
काफी अटकलों के बाद भी एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी और बादल परिवार के नेतृत्व वाली शिरोमणि अकाली दल एनडीए का हिस्सा नहीं होंगी। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी इन पार्टियों के साथ गठबंधन नहीं करेगी। इसकी पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने और आंध्र प्रदेश में पवन कल्याण की जनसेना पार्टी के साथ गठबंधन करने की योजना है।

