बीरेंद्र कुमार झा
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले दोनों राज्य सरकार, केंद्र सरकार और भारत के चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि जनहित याचिका जिसमें इस बात का जिक्र है कि चुनाव के पहले सरकारों के द्वारा मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल किया जाता है। करदाताओं के खर्चे पर नगदी और अन्य मुफ्त वस्तुओं के कथित वितरण पर एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार ,मध्य प्रदेश सरकार, राजस्थान सरकार और भारत की चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की सरकार, राज्यों की सरकारों और चुनाव आयोग से चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
क्या है आरोप
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों ,केंद्र की सरकार और चुनाव आयोग से जिस याचिका को लेकर जबाव मांगा है उसमें इस बात को लेकर याचिकाकर्ता ने चिंता जाहिर की है कि इस समय चुनाव को लेकर मुख्य रूप से राजस्थान और राजस्थान की सरकारों की द्वारा विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी संख्या में प्रलोभन वाले योजनाओं की घोषणा की जा रही है और साथ ही मुफ्त की चीजों को जनता के पैसों से बनता जा रहा है ।
भारतीय रिजर्व बैंक को भी नोटिस जारी
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमृति मनोज मिश्रा की पीठ में जनहित याचिका पर केंद्र निर्वाचन आयुक्त तथा भारतीय रिजर्व बैंक को भी नोटिस जारी किया है।याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि दोनों राज्यों की सरकारें मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग कर रही है।
नगदी बांटने से ज्यादा खराब और कुछ नहीं हो सकता
याचिकाकर्ता की पैरवी करने वाले वकील ने कहा कि चुनाव से पहले सरकार द्वारा नगदी बांटने से ज्यादा खराब और कुछ नहीं हो सकता है,लेकिन यह हर बार होता है और उसका भार अंततः करदाताओं पर ही आ जाता है। खंडपीठ ने कहा कि नोटिस जारी कीजिए और चार सप्ताह के भीतर जवाब दीजिए।न्यायालय ने भट्टू लाल जैन की जनहित याचिका पर आज सुनवाई की और इसे इस मामले पर लंबित एक अन्य याचिका के साथ नत्थी करने का आदेश दिया।