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ईवीएम वीवीपीएटी वोट वेरिफिकेशन मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर फैसला रखा सुरक्षित

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कुछ प्रश्नों पर चुनाव आयोग के अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों  (ईवीएम) के वोटों का उनके वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ 100 प्रतिशत सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ खास पहलुओं पर चुनाव आयोग से मांगा स्पष्टीकरण

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की कार्यप्रणाली के कुछ खास पहलुओं पर बुधवार को निर्वाचन आयोग से स्पष्टीकरण मांगा, साथ ही निर्वाचन आयोग के एक शीर्ष अधिकारी को दोपहर दो बजे तलब किया था।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि उसे कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है क्योंकि ईवीएम पर ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों’ (एफएक्यू) के बारे में निर्वाचन आयोग ने जो उत्तर दिए हैं उनमें कुछ भ्रम है. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भी अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

क्या है वीवीपीएटी

वीवीपीएटी एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है ,जिसके जरिए मतदाता यह जान सकते हैं कि उनका वोट उसी व्यक्ति को गया है या नहीं जिन्हें उन्होंने वोट दिया

पूर्व में भी सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।

चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के जरिए डाले गए वोटों के साथ वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी ) पर्चियों का मिलान करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गत गुरुवार को सुनवाई हुई थी। सभी पक्षों की दलीलों के साथ सुनवाई पूरी होने के बाद पीठ ने निर्णय सुरक्षित रख लिया था।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता और याचिकाकर्ताओं को ईवीएम के हर पहलू के बारे में आलोचनात्मक होने की जरूरत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण का चुनाव आयोग ने दिया जवाब

ईवीएम – वीवीपीएटी मामले में सुप्रीम कोर्ट के सवालों का जवाब चुनाव आयोग ने दिया है। चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि ईवीएम- वीवीपैट बैलेट यूनिट के सभी यूनिट में अपना मेमोरी चिप होता है और इसका एक ही बार इस्तेमाल होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग को नहीं कर सकते नियंत्रित

याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि वे चुनाव आयोग के दावे से वो सहमत नहीं है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और हम चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकते।क्या संदेह के आधार पर कोई आदेश जारी किया जा सकता है? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामला सुरक्षित रख लिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा था स्पष्टीकरण

इससे पहले सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने चुनाव आयोग से कहा कि हमें तीन से चार स्पष्टीकरण चाहिए।उन्होंने पूछा कि क्या माइक्रो कंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में होता है या फिर ईवीएम में, सिंबल लेबल यूनिट कितनी हैं, चुनाव याचिका दाखिल करने की समय सीमा 30 दिन होती है, तो ईवीएम सहेजने की समय सीमा 45 दिन या कम होती है, चिप कहा रहती है, क्या चिप का एक बार ही इस्तेमाल होता है, ईवीएम और वीवीपीएटी क्या दोनों को मतदान के बाद सील किया जाता है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चार से पांच पॉइंट हैं, जिसके जवाब चाहिए। कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकारी से इसका जवाब मांगा है।

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