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मणिपुर हिंसा पर शीर्ष अदालत सख्त ,कहा राहत कैम्पों में रह रहे लोगों को घर वापस लाया जाए

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न्यूज़ डेस्क

मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज कई सवाल किये हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए सरकार से विस्थापितों के बारे में पूछा कि, राहत कैम्पों में कितने लोग हैं। और उन्हें घर वापस लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर और केंद्र सरकार से रिलीफ कैंप, विस्थापितों के रिहैबिलिटेशन और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के निर्देश दिए हैं। इस मामले में 10 दिन में अपडेट स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई है। साथ मणिपुर और केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने रिलीफ कैंप में उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं की डिटेल मांगी है। अब सुप्रीम कोर्ट इन सभी याचिकाओं पर 17 मई को सुनवाई करेगा।
केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलीलें पेश की। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई है। तुषार मेहता ने बताया कि, मणिपुर में बीते दो दिनों में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। और कर्फ्यू में धीरे-धीरे ढील दी जा रही है। राज्य में सीएपीएफ की 55 और सेना की 100 से ज्यादा कंपनियां तैनात हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा के दौरान विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राहत शिविरों में उचित व्यवस्था पर जोर दिया है। और सरकार से लोगों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने को कहा है। ये मानवीय मुद्दे हैं, इसलिए राहत शिविरों में जरूरी इंतजाम किए जाएं। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, हेलीकॉप्टर और ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। पीड़ितों के लिए आवास और भोजन उपलब्ध कराने के लिए राहत शिविर भी बनाए गए हैं।
उधर सुनवाई के दौरान आदिवासी संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, आदिवासियों पर हमले हो सकते हैं। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि, कोर्ट स्थिति को स्थिर करना चाहता है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर की स्थिति पर कई याचिकाएं दायर की गई हैं। एक याचिका में मैतेई समुदाय को एसटी दर्जे के मुद्दे पर हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। इसके अलावा, एक आदिवासी संगठन ने एक जनहित याचिका दायर करके मणिपुर में हुई हिंसा की घटना की जांच एसआईटी से कराने की गुहार लगाई है।

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