सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह पूछा है कि क्या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में रहते हुए कैदियों की रिहाई वाले आदेश पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं? सर्वोच्च अदालत ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री के ऐसा करने पर रोक लगाने वाला कोई आदेश है? मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर के अभाव में समय पूर्व रिहाई की प्रक्रिया में देरी की सूचना दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल किया।
बार एंड बेंच के मुताबिक जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की। जस्टिस ओका ने दिल्ली सरकार के वकीलों से पूछा कि केजरीवाल के हिरासत में रहते हुए क्या समय पूर्व रिहाई की फाइल पर हस्ताक्षर करने से रोक है? एएसजी ऐश्वर्या भाटी और वरिष्ठ वकील अर्चना दावे ने कहा कि इसका पूर्व में कोई उदाहरण नहीं है और वह निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करेंगे।
जस्टिस ओका ने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो सुप्रीम कोर्ट को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले अधिकार का प्रयोग करना होगा, क्योंकि इन मामलों को इस तरह अटकता नहीं जा सकता है।कोर्ट ने एएसजी भाटी से राज्य सरकार से निर्देश लेने के लिए कहा और मामले को दो सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध कर दिया।कोर्ट ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर नहीं करने से माफी वाले इन फाइल्स के आगे की कार्यवाही के लिए एलजी के पास नहीं भेजा जा पा रहा है।
दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कथित शराब घोटाले की वजह से 21 मार्च से जेल में बंद है।पहले ई डी ने उन्हें गिरफ्तार किया था। इस केस में उन्हें अंतिम जमानत मिल चुकी है। ईडी केस में अंतरिम जमानत से पहले उन्हें सीबीआई ने भी गिरफ्तार कर लिया था।इस मामले में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया है।