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राजस्थान में भिड़े सचिन पायलट और अशोक गहलोत समर्थक, जमकर चले लात घुसे

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बीरेंद्र कुमार झा

कर्नाटक चुनाव जीतने के बाद वहां तो किसी तरह से कांग्रेस ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार में किसी तरह से समझौता करा कर अपनी बेज्जती बचा ली, लेकिन राजस्थान जहां की इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने वाले हैं,वहां कांग्रेस की मुश्किलें लगातार बढ़ती चली जा रही है।वहां लंबे समय से प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में ठनी हुई है।एक बार तो कांग्रेस की सरकार वहां जाते – जाते बची ।तब सचिन पायलट राहुल और प्रियंका की बात मानकर थोड़ा झुक गए थे,लेकिन अब कुछ महीने से वहां कोई झुकने के लिए तैयार नहीं है।अब तो वहां दोनो के समर्थकों के जगह – जगह आपस में भिड़ने की खबर आने लगी है।

ऐसी एक खबर अजमेर से सामने आ रही है जिसके अनुसार प्रभारी अमृता धवन को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करनी थी लेकिन बैठक शुरू होने से पहले ही बैठने के स्थान को लेकर गहलोत और पायलट समर्थकों के बीच बाता- बाती शुरू हुई जो थोड़ी ही देर में हाथापाई और जूते – चप्पल में तब्दील हो गई।

एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी

कांग्रेस के अजमेर नगर अध्यक्ष विजय जैन के अनुसार यह एक पदाधिकारियों की बैठक थी, जिसमें अजमेर सरस डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी और राजस्थान पर्यटन निगम ( RTDC) के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर के समर्थक पहुंचे थे।उन्होंने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी ।इसके परिणाम स्वरूप उनके समर्थकों के बीच हाथापाई हो गई ।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं के दो गुटों में मारपीट

क्रिश्चियनगंज के थानाधिकारी कर्ण सिंह के अनुसार सभाकक्ष में बैठने की व्यवस्था को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के दो गुटों में मारपीट हो गई।दोनों गुटों ने पहले एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की और बाद में एक दूसरे की पिटाई कर दी। कर्ण सिंह ने बताया कि मौके पर मौजूद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को शांत कराया। उन्होंने बताया कि किसी को कोई बड़ी चोट नहीं पहुंची है।

सचिन पायलट भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर हैं मुखर

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस नेता सचिन पायलट भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर मुखर हैं। वह अपनी सरकार के खिलाफ अनशन कर चुके हैं।उनकी पदयात्रा में काफी भीड़ देखने को मिली थी।यदि कांग्रेस ने गहलोत और पायलट के बीच के विवाद को समय रहते हल नहीं किया तो कांग्रेस के लिए आगामी विधानसभा चुनाव जो इस साल के अंत तक में होना है,उसमें विधानसभा की राह आसान नहीं होगी।

 

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