न्यूज़ डेस्क
मुंबई की धारावी पुनर्विकास योजना अधर में लटकता जा रहा है। लोगो सड़को पर उतर गए हैं और अडानी गो बैक के नारे लगा रहे हैं। धारावी को पुनर्विकास करने का ठेका पिछले नवम्बर में अडानी समूह को मिला था लेकिन हिंडनवर्ग रिपोर्ट के बाद जिस तरह से अडानी समूह लुढ़कता जा रहा है कि उससे धारावी के स्थानीय लोग काफी चिंतित हैं। उन्हें लग रहा है कि इस ठेके में भी कोई बड़ा खेल होने वाला है इसलिए धारावी की हर गली और चौक चौराहों पर नो इंट्री टू अडानी के पोस्टर चस्पा कर दिए गए हैं। स्थानीय लोग यह भी हैं कि इस धारावी के विकास के लिए जो ठेके की बोली लगाईं लगाईं थी उसमे सऊदी अरब की एक कम्पनी ने सबसे ऊँची बोली लगाईं थी उसे ठेका नहीं दिया गया और अडानी को ठेका दे दिया गया। अब यह विवादस्पद ठेका अदालत भी पहुँच गया है।
लेकिन स्थानीय लोग केवल ठेके को लेकर ही विरोध नहीं कर रहे। इनकी चिंता बड़ी है। कोई बड़ा घपला का अंदेशा है। दरअसल यह एशिया की सबसे बड़ी और घनी बस्ती 600 एकड़ में फैली हुई है। मुंबई के बीच स्थित इस बस्ती की आबादी करीब दस लाख की है। लोगो को शक हो रहा है कि जिस तरह से इस बस्ती के पुनर्विकास के लिए मात्र 100 एकड़ जमीन को रखा गया है और बाकी 500 एकड़ जमीन की कोई चर्चा नहीं की गई है उससे जमीन लूट की कहानी सामने दिख रही है। लोगो को आशंका है कि जमीन रियल इस्टेट उपयोग की जाएगी और अडानी भारी मुनाफा कमाएंगे।
सर्वे में हजारो लोगो को छोड़ दिया गया
धारावी के लोग यह भी कह रहे हैं कि किसी विश्वसनीय सर्वे के बिना ही यह पुनर्विकास योजना तैयार कर ली गई है। लोगो का आरोप है कि जो आंकड़े तैयार किये गए हैं वे 2011 की योजना पर आधारित हैं और सर्वे में हजारो लोगो को छोड़ भी दिया गया है। धारावी पुनर्विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र कोर्डे दावा करते हैं कि धारावी के आधे विधिसम्मत लोगों को छोड़ दिया गया है। कोर्डे का कहना है कि काफी सारे लोग ऐसे हैं जो 1985 से यहां रह रहे हैं लेकिन सर्वेक्षणों में उन्हें जगह नहीं मिली है। वह कहते हैं कि अडानी ग्रुप और राज्य सरकार को पहले नई जगह पर बसाने और पुनर्वास के लिए योग्यता को लेकर संदेहों को दूर करने की जरूरत है। धारावी बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष बाबूराव माने कहते हैं कि ‘हमें बताया गया है कि धारावी पुनर्विकास के हिस्से के तौर पर 54,000 वैध और अधिकृत संरचनाएं होंगी। शेष लोग बेघरबार हो जाएंगे।’
बता दें कि धारावी में लगभग 4,000 इडली विक्रेता और इस महानगर में साइकिलों पर चाय बेचने वाले 5-6 हजार लोग रहते हैं। ऐसी महिलाएं भी यहां हैं जो जटिल कढ़ाई करती हैं और नकली जेवर तैयार करती हैं। उन्हें आशंका है कि पुनर्विकास योजना उन्हें इन कारोबार से बाहर कर देगी या उनके कामकाज को और महंगा कर देगी।’बता कि धारावी कम लागत वाली वस्तुओं के उत्पादन के लिए जानी जाती है। अंतरराष्ट्रीय कंपनियां उच्च स्तर की कुशलता और कम उत्पादन लागत की वजह से धारावी से तैयार या आधा तैयार उत्पाद लेती हैं।
धारावी का टर्न ओवर एक बिलियन डॉलर
मोटा-मोटी आकलन है कि धारावी की व्यावसायिक इकाइयों का वार्षिक टर्नओवर लगभग एक बिलियन अमेरिकी डॉलर है। असंगठित सेक्टर की इकाइयां सूटकेस से लेकर चमड़े के सामानों, लाइटवेट चमड़े के जैकेट से लेकर जूते तक का उत्पादन करती हैं। यहां बटन, शर्ट कॉलर से लेकर चमकीले फैब्रिक, प्लास्टिक रीसाइक्लिंग इकाइयों से लेकर मिठाइयों, नमकीन और दवाओं तक की इकाइयां हैं। वस्तुतः धारावी इस महानगर के खाते-पीते वर्गों को कई किस्म की सेवाएं उपलब्ध कराती है। भले ही कई इकाइयां नियमों के हिसाब से अवैध हैं लेकिन वे ग्लोबल ब्रांड के लिए चीजों के निर्माता कहे जाते हैं। धारावी में उत्पादन करने वाले लोग जिम्मी चू और लुइस फिलिप-जैसे ब्रांडों के नाम लेते हैं और गर्व से बताते हैं कि धारावी में चमड़े के कारीगर और जूते बनाने वाले दुनिया में सबसे अच्छों में गिने जाते हैं।
धारावी पर राजनीतिक दल सक्रिय
धारावी में रह रहे लोग भारत के लगभग सभी हिस्सों से आकर बसे हैं और वे कम-से-कम 18 भाषाएं बोलते हैं। यह बात शिव सेना (उद्धव) के लिए आकर्षण का विषय है क्योंकि अब यह मराठी बोलने वाले भूमि पुत्रों से इतर अपनी पहचान बनाना चाह रही है। धारावी से उठ रही मांग को स्वर देना उसके लिए अवसर की तरह है। इसका अंदाजा अडानी ग्रुप को है। संभवतः इसलिए भी ग्रुप के चेयरमैन ने उद्धव ठाकरे से जाकर मुलाकात की। चचेरे भाई एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे भी उद्धव से मिल आए हैं। लेकिन शिव सेना (उद्धव) अडानी ग्रुप को दिए गए ठेके की जांच की मांग करते हुए मुंबई को बंद करने की अपनी योजना पर काम करती दिख रही है। मुंबई कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत भी कहते हैं कि ग्रुप जिस तरह विभिन्न तरह के विवादों में घिर रहा है, इस मसले की जांच भी जरूरी है।