न्यूज़ डेस्क
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बीजेपी को एक तरह से झटका ही दिया है। हालांकि, बीजेपी अपने एनडीए के दम पर सरकार बनाती नजर आ रही है। इन सब के बीच एनडीए के दो सहयोगी दल ऐसे हैं जो सरकार बनाने में किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं। जिसमें एक नीतीश कुमार की जेडीयू है तो वहीं, दूसरी आंध्रप्रदेश में टीडीपी यानि तेलुगु देशम पार्टी नई सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
दरअसल, टीडीपी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू के चीफ नीतीश कुमार हैं। जहां दोनों ही पार्टी के खाते में 15 और 16 सीटें आती नजर आ रही हैं। हालांकि, इंडिया अलायंस भी इन्हीं दोनों को पार्टियों को लुभाकर एनडीए को तीसरी बार सरकार बनाने से रोकना चाहती है। ऐसे में दोनों ही 70 साल के शख्स राष्ट्रीय राजनीति की ड्राइविंग सीट पर आ गए हैं।
एनडीए को इस बार 296 सीटों से बहुमत तो मिलता दिख रहा है, लेकिन इंडिया गठबंधन भी 229 सीटों के साथ बहुमत से बहुत दूर नहीं है। ऐसे में ये भी हो सकता है कि बीजेपी सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार भी न बना पाए। बीजेपी की तीसरी बार सत्ता की बागडोर जेडीयू और टीडीपी छीन सकते हैं। हालांकि, दोनों पार्टियों ने अभी तक ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन विपक्ष उनसे संपर्क बनाने की कोशिश में जुट गया है।
बिहार में नीतीश की पार्टी जेडीयू ने अपने वरिष्ठ सहयोगी बीजेपी को पछाड़ दिया है। अंतिम रिपोर्ट आने तक उनकी पार्टी जदयू और बीजेपी दोनों ही 12 सीटों पर चल रही हैं। उन्हें किंग-मेकर कहें या भविष्य के राजा, 4 जून के इतिहास में दर्ज होने से पहले ही राजनीतिक पत्ते खुल जाएंगे। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू से बात की है। कयास लगाए जा रहे हैं कि, एनडीए में सरकार बनाने की पहल को लेकर बातचीत की गई है।
वहीं, विपक्षी गठबंधन के लिए सबसे आसान टारगेट सीएम नीतीश कुमार हैं, जो हाल ही में इंडिया अलायंस से पाला बदलकर एनडीए में आए थे। ऐसे में नीतीश कुमार अगर दोबारा विपक्ष की ओर झुकते हैं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। जबकि, चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी ने भी चुनाव से ठीक पहले एनडीए में दोबारा वापसी की थी। बता दें कि दोनों ही पार्टियों को अब तक के रुझान में 28 सीटें मिली हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, हर किसी की जुबान पर सबसे बड़ा सवाल यही है क्या ये दोनों दिग्गज एनडीए सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए जरूरी संख्याबल दिलाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं? दरअसल, ये दोनों ही क्षेत्रीय दल एनडीए का अभिन्न अंग हैं लेकिन जैसे-जैसे विपक्षी गठबंधन मजबूत होता जा रहा है, हर बीतते घंटे के साथ गठबंधन की संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं।
जबकि, पार्टी नेताओं का कहना है कि बिहार के दिग्गज नेता इस बार पाला नहीं बदलेंगे। जेडीयू के नीरज कुमार का कहना है कि हम एनडीए के साथ बने रहेंगे, नीतीश कुमार गठबंधन का मतलब समझते हैं, विपक्ष ने नीतीश को कम आंका है। बिहार के एक अन्य वरिष्ठ राजनीतिक पर्यवेक्षक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “दूर दिल्ली में बैठकर कोई भी नीतीश कुमार जैसे नेता की राजनीतिक ताकत का अंदाजा नहीं लगा सकता है। वह जमीन से जुड़े हुए हैं और उनके समर्थक चट्टान की तरह उनके पीछे खड़े हैं। हालांकि, नीतीश को अब कांग्रेस और बीजेपी लुभाने की कोशिश कर रही है और बीजेपी ने उन्हें एनडीए का संयोजक बनाने का प्रस्ताव दिया है।
ऐसे आंध्र प्रदेश में जहां चंद्रबाबू नायडू को कभी सीईओ-सीएम के रूप में जाना जाता था, वे भी अपनी राजनीतिक शक्ति और भविष्य को आकार देने की क्षमता का प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें इस बात पर गर्व है कि वे 2000 के दशक की शुरुआत में सार्वजनिक क्षेत्र में आईटी और डिजिटल तकनीक लाने वाले पहले मुख्यमंत्री थे।
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