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निठारी कांड के दोषी फांसी की सजा से बच गए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निठारी कांड के आरोपी मनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। अब ये दोनों आरोपी फांसी से दूर हो गए हैं। आगे क्या कुछ होगा यह देखने की बात है लेकिन इस पुरे मामले में अब सीबीआई ही रडार पर आ गई है। कोर्ट ने साफ़ कहा है कि सीबीआई को भी साबुत पेश नाह किया है जिससे यह साबुत किया जा सके कि पंढेर और कोली को फांसी दी जाए। इसके अलावे कोर्ट ने कई और तरह की तल्ख़ टिप्पणी भी सीबीआई पर की है।
जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एसएएच रिजवी की बेंच ने सीबीआई जांच को लोगों के साथ विश्वासघात बताया। हाईकोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी ने गैर-जिम्मेदाराना तरीके से सबूत जुटाए और जानबूझकर एक नौकर को फंसाने का आसान रास्ता चुना। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि सीबीआई की बेहद खराब जांच इसलिए भी चिंताजनक है, क्योंकि निठारी कांड बच्चों की हत्या से जुड़ा हुआ था। हालांकि, यह पहला मामला नहीं है, जब सीबीआई आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाने में नकाम रही हो।
आखिर सीबीआई कैसे फेल हो गई यह बड़ा सवाल सामने आ रहा है ? कोर्ट के फैसले के बाद पता चलता है कि सीबीआई कई मसलों पर फेल हो गई। कंकाल बरामदगी में सीबीआई ने कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई। अंग व्यापार की जांच किए बिना इस मु्द्दे को नरभक्षण से जोड़ा गया। सीबीआई ने कोली के इकबालिया बयान को मुख्य आधार मान लिया। बयान के सीडी के ट्रांसस्क्रिप्ट पर मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर नहीं थे। कोली को गिरफ्तार करने के बाद 60 दिनों तक रिमांड में रखा, लेकिन एजेंसी इसका तार्किक जवाब नहीं दे पाया। कोठी से एक कुल्हाड़ी मिला था। सीबीआई यह साबित नहीं कर पाई कि इसका प्रयोग हत्या के लिए ही किया गया था।
दिसंबर 2006 में पहली बार निठारी कांड का खुलासा हुआ था. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट में निठारी के रिम्पा हलदार के परिजनों ने एक याचिका दाखिल की। इसमें कहा गया कि निठारी के डी-5 बंगले के पास से उनका बच्चा गायब हो गया, लेकिन पुलिस लीपापोती कर रही है।एक मामला कॉलगर्ल पायल के पिता ने भी दर्ज कराया था। पुलिस इसकी जांच भी काफी ढील-ढाल तरीके से कर रही थी। पायल के पिता का कहना था कि उनकी बेटी डी-5 बंगले में आने के बाद लापता हो गई।
मामले में नया मोड़ तब आया, जब पंढेर के मकान के पीछे ड्रेन में आठ बच्चों के कंकाल पाए गए। इसके बाद पुलिस ने डी-5 बंगला के इर्द-गिर्द स्थानीय लोगों की मदद से खुदाई शुरू की, जिसमें कई और नर कंकाल मिलने का दावा किया गया। पुलिस ने मामले में तुरंत डी-5 बंगला के मालिक मनिंदर पंढेर और उनके नौकर सुरिंदर कोली को गिरफ्तार कर लिया।
जनवरी 2007 में यह केस सीबीआई को सौंपा गया. नोएडा के तत्कालीन एसएसपी दिनेश यादव समेत कई बड़े पुलिस अधिकारियों पर इस मामले में लापरवाही के चलते कार्रवाई भी हुई। सीबीआई के पास मामला जाने के बाद इसमें रोज-रोज नए खुलासे होने लगे। एजेंसी ने दावा किया कि कोली ने 17 हत्याओं को कबूला है। एजेंसी के मुताबिक सुरिंदर कोली हत्या के बाद शरीर को काटकर खा जाता था।

