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और राहुल गाँधी ने 12  तुगलक लेन की चाबी लोक सभा अधिकारियों को सौंप दी —-

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अखिलेश अखिल 

हालांकि सरकारी चीजें और सरकारी सुविधाएं किसी के लिए स्थाई तो होती नहीं। स्थाई तो वह ताकत भी नहीं होती जो कभी किसी को मिल जाती है। स्थाई वह पद भी नहीं होता जिस के सहारे कोई बड़ा -बड़ा निर्णय कर बैठता है। और स्थाई तो जीवन भी नहीं होता लेकिन जीते -जीते कभी इंसान इंसानियत को भी तार -तार कर जाता है और फिर मरने के बाद समाज देश और काल उसके किये अच्छे और बुरे कर्मो पर ठहाका लगाता है।      राहुल गाँधी ने आज अपना सरकारी आवास को छोड़ दिया। उन्होंने 12 तुगलक लेन की चाबी लोकसभा सचिवालय के अधिकारीयों को सौंप दी। करीब 19 साल से राहुल गाँधी इस सरकारी आवास में रह रहे थे। इसे ही अपना घर मान लिया था। कभी दिल्ली में कोई मकान नहीं लिया। शायद आज उन्हें लगता होगा कि समय रहते वे दिल्ली में एक मकान ले लेते !       
बंगला खाली करने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि मैंने ‘सच बोलने की कीमत चुकाई’ हैं।’ वहीं, उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, भाई ने जो बो. बोला वो सच है। उन्होंने सरकार के खिलाफ बोला इसलिए ये सब हो रहा है वो बहुत हिम्मत वाले हैं..मैं भी उनके साथ हूं। प्रियंका ने कहा, “मेरा भाई जो कुछ भी कह रहा है वह सच है। उसने उस सरकार के बारे में सच बोला जिसके लिए वह पीड़ित है। लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं..।”       
   राहुल गांधी ने कहा कि “हिंदुस्तान के लोगों ने मुझे 19 साल तक यह घर दिया, मैं उनका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। यह सच बोलने की कीमत है। मैं सच बोलने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूं…”
       बता दें कि मोदी सरनेम” टिप्पणी के लिए सूरत की एक अदालत द्वारा अयोग्य ठहराए जाने और दो साल की सजा के बाद 22 अप्रैल तक परिसर खाली करने के लिए कहा गया था।14 अप्रैल को, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को अपने कार्यालय और कुछ निजी सामानों को अपनी मां सोनिया गांधी के 10, जनपथ स्थित आधिकारिक आवास में स्थानांतरित करते देखा गया था। तब से वह वहीं रह रहे हैं।
             कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इसे एक “अनुकरणीय इशारा” कहा। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “अदालत ने उन्हें अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया और एचसी या एससी अभी भी उन्हें बहाल कर सकते हैं, लेकिन बाहर निकलने का उनका अनुकरणीय इशारा नियमों के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है।”
               23 मार्च को, सूरत की एक अदालत ने गांधी को मानहानि का दोषी ठहराया और उन्हें दो साल की सजा सुनाई, जिससे सांसद के रूप में उनकी अयोग्यता हो गई। उनकी अयोग्यता के एक दिन बाद, लोकसभा सचिवालय ने उन्हें 22 अप्रैल तक परिसर खाली करने का नोटिस भेजा था।
             राहुल गांधी ने मजिस्ट्रियल कोर्ट के आदेश को सूरत की सत्र अदालत में चुनौती दी, जिसने सजा को रद्द करने की उनकी अपील को खारिज कर दिया। पार्टी ने सत्र अदालत के आदेश को अगले सप्ताह गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है।

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