अखिलेश अखिल
महंगाई पर कोई लड़ाई नहीं। बेरोजगारी पर कोई लड़ाई नहीं। शिक्षा कर स्वास्थ्य को लेकर कोई लड़ाई नहीं। देश के भीतर असमानता को लेकर भी कोई लड़ाई नहीं। लेकिन लड़ाई चल रही है देश के नाम पर। देश का नाम इंडिया रहे या भारत इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में घमासान जारी है। अभी तक इस देश का नाम इंडिया दैट इज भारत यानी इंडिया और भारत के नाम से ही जाना जाता था लेकिन जैसे ही विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन का नामकरण किया सत्ता पक्ष गरमा गई। बीजेपी को लग रहा है कि अभी तक जो योजनाए इंडिया के नाम से चल रही थी उसका क्या होगा ? बीजेपी को यह भी लग रहा है कि विपक्षी गठबंधन इंडिया को आखिर कैसे बदनाम किया जाए ? इंडिया पर हमला तो अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर ही हमला होगा। ऐसे में अब अंग्रेजो का दिया गाय नाम इंडिया को ख़त्म ही क्यों न कर दिया जाए।
इस विवाद की शुरुआत राष्ट्रपति भवन की ओर से भेजे गए जी-20 डिनर से हुई और अब यह बढ़ता ही जा रहा है। निमंत्रण पत्र में प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसीडेंट ऑफ भारत लिखा गया था, जिसे लेकर विपक्ष हमलावर हो गया और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इंडिया नाम को बदलना चाहती है। वहीं, केंद्र सरकार ने इन आरोपों को कोरी अफवाह करार दिया है। अब सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से एक के बाद एक तमाम नेता इस विवाद पर अपनी राय रख रहे हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, कांग्रेस सांसद शशि थरूर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी से लेकर ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने इंडिया या भारत नाम विवाद पर प्रतिक्रिया दी है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ को लेकर कहा कि यह नाम खतरनाक है। उन्होंने कहा, ‘इस गठबंधन की क्या हालत है? नाम बड़े, दर्शन छोटे। उन्होंने इसका नाम इंडिया रखा, लेकिन मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि ये नाम बहुत खतरनाक है। भाईयों और बहनों हमने भी शाइनिंग इंडिया का नारा दिया और हार गए। अब तुमने इंडिया गठबंधन बनाया, तुम्हारी भी हार निश्चित है। ‘
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि जो लोग भारत नाम पर आपत्ति जता रहे हैं, उन्हें एक बार संविधान पढ़ना चाहिए।जयशंकर ने कहा, ‘इंडिया दैट इज भारत और यह संविधान में है। मैं हर किसी को इसे (संविधान) पढ़ने के लिए कहूंगा। जब आप भारत कहते हैं, तो एक अर्थ, एक समझ और एक अनुमान आता है और मुझे लगता है कि यही हमारे संविधान में भी परिलक्षित है। ‘
विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि हिंदू नाम भी विदेशी है उसे भी बदलना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘हिंदू नाम भी विदेश से आया है। ये अरब और विदेश से आया है। ये हम बीजेपी वालें को कहते है। हिंदू नाम भी बदलना चाहिए ये बाहर से आया है। हिंदू नाम इस जगह का नहीं है। प्रधानमंत्री इंडिया नाम से डर गए हैं. भारत के संविधान को बदलने की ये साजिश कर रहे हैं। ‘
उधर लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि देश का मूल नाम निर्विवाद तौर पर भारत ही है और इंडिया के रूप में इसका नामकरण अंग्रेजों की देन है। सुमित्रा महाजन ने कहा, ‘यह बात मेरी समझ में नहीं आती कि भारत और इंडिया के नामों को लेकर विवाद की स्थिति क्यों होनी चाहिए? हमारे देश का नाम मूल भारत ही है इसके अलावा, इसे हिंदुस्तान भी कहा जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता को अंग्रेजों ने इंडस वैली सिविलाइजेशन कहा था। नतीजतन अंग्रेजों ने अपनी समझ से भारत को इंडिया के रूप में संबोधित किया।
राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को विपक्षी गठबंधन की समन्वय समिति का सदस्य बनाया गया है। तेजस्वी यादव ने कहा, ‘मोदी जी बहुत डरे हुए हैं। मैं सोच रहा हूं कि वह मेक इन इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया जैसी अपनी कई पहलों और कई योजनाओं का क्या करेंगे। अगर वह इंडिया नाम रखने वाली हर संस्था का नाम बदलने की कवायद शुरू करते हैं तो इससे सरकारी खजाने पर एक राज्य की जीडीपी के बराबर बोझ पड़ेगा। ‘
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है। उन्होंने कहा कि अचानक से क्या हो गया, दुनिया हमें इंडिया नाम से जानती है। ममता बनर्जी ने कहा, ‘मैंने सुना है कि इंडिया का नाम बदला जा रहा है। माननीय राष्ट्रपति के नाम से भेजे गए जी20 के निमंत्रण पत्र पर भारत लिखा हुआ है। अंग्रेजी में हम इंडिया कहते हैं, इंडियन कांस्टिट्यूशन कहते हैं, जबकि हिंदी में हम इसे भारत का संविधान कहते हैं।’ उन्होंने कहा कि दुनिया हमें इंडिया के नाम से जानती है। अचानक क्या हो गया कि देश के नाम को बदलने की जरूरत पड़ गई।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मंगलवार को कहा, ‘फासीवादी भाजपा शासन को सत्ता से हटाने के लिए गैर भाजपाई शक्तियों के एकजुट होने और अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखने के बाद अब भाजपा इंडिया को भारत करना चाहती है। बीजेपी ने इंडिया को बदलने का वादा किया था लेकिन नौ साल बाद हम सभी को सिर्फ नाम बदले हुए नजर आ रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि भाजपा इंडिया शब्द से परेशान हो चुकी है क्योंकि उन्हें विपक्षी एकता की ताकत का अंदाजा हो गया है।


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