न्यूज़ डेस्क
कोलकाता में महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हुई हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने बंगाल सरकार और पुलिस से जमकर सवाल किए। कोर्ट ने कहा कि मामले में गंभीर लापरवाही बरती गई है। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रदर्शनकारी चिकित्सकों से सामान्य कामकाज बहाल करने का निर्देश दिया और कहा कि न्याय और चिकित्सा को रोका नहीं जा सकता।
इससे पहले सीबीआई और कोलकाता पुलिस ने सीलबंद लिफाफे में अपनी स्थिति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी। मामला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के पास है। इसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बीती 20 अगस्त को मामले का स्वतः संज्ञान लिया था।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर्स समेत स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों को काम पर लौटने दें और एक बार जब वे ड्यूटी पर लौट आएंगे तो अदालत अधिकारियों को उन पर कार्रवाई न करने के लिए मनाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर डॉक्टर काम पर नहीं लौटेंगे तो सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा कैसे काम करेगा।
दरअसल, सुनवाई के दौरान एम्स नागपुर के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने कहा कि उनके विरोध के कारण अब उन पर हमला किया जा रहा है। उन्हें परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इस पर सीजेआई ने कहा कि अगर वे ड्यूटी पर हैं तो उन्हें अनुपस्थित नहीं माना जाएगा और अगर वे ड्यूटी पर नहीं हैं तो कानून का पालन किया जाएगा। उन्हें पहले काम पर लौटने के लिए कहें। कोई भी डॉक्टर के खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं करेगा। अगर उसके बाद कोई परेशानी होती है तो हमारे पास आएं, लेकिन पहले उन्हें काम पर लौटने दें।
वहीं, पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टर्स की ओर से दलील दी गई कि डॉक्टरों को परेशान किया जा रहा है। वे सुबह एक घंटे रैली करते हैं और फिर काम पर लग जाते हैं, लेकिन वे भी परेशान किया जा रहा है। इस पर सीजेआई ने कहा कि इन संस्थानों को चलाने वाले अनुभवी निदेशक कभी ऐसा कुछ नहीं करेंगे। डाक्टर्स ने कहा कि उनकी छुट्टियां काटी जा रही हैं।
इस पर सीजेआई ने कहा कि एक बार जब डॉक्टर्स काम पर वापस आ जाएंगे तो हम अधिकारियों पर दबाव डालेंगे कि वे प्रतिकूल कार्रवाई न करें अन्यथा अगर डॉक्टर काम नहीं करेंगे तो सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा कैसे चलेगा। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस अदालत से मिलने वाले आश्वासन से डॉक्टर्स को संतुष्टि मिलनी चाहिए।
सीजेआई ने कहा कि हमने नेशनल टास्क फोर्स बनाई है। इस व्यापक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का मकसद यह है कि सभी हितधारकों से परामर्श किया जाएगा, जिसमें रेजिडेंट डॉक्टर भी शामिल हैं। इसलिए उनकी बात सुनी जाएगी। यदि आप हमारे आदेश को देखें तो हमने वास्तव में उसी पहलू को उजागर किया है कि सार्वजनिक अस्पतालों की एक ढर्रे पर काम होता है। जूनियर डॉक्टर कई तरह के उत्पीड़न झेल रहे हैं, न कि केवल यौन उत्पीड़न। हमें बहुत सारे ईमेल मिले हैं और हम पर बहुत ज्यादा दबाव है। 48 या 36 घंटे की ड्यूटी अच्छी नहीं है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने आरोपी की चोट की मेडिकल रिपोर्ट के बारे में पूछा। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह केस डायरी का हिस्सा है। इसके बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई ने 5वें दिन जांच शुरू की, सब कुछ बदल दिया गया और जांच एजेंसी को नहीं पता था कि ऐसी कोई रिपोर्ट है। वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने एसजी की दलील का खंडन किया और कहा कि हर चीज की वीडियोग्राफी है, न कि बदला गया।
सुप्रीम कोर्ट ने घटना से जुड़े तथ्यों पर पश्चिम बंगाल सरकार से भी सवाल पूछे। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक पहलू बेहद परेशान करने वाला है, अप्राकृतिक मौत की डीडी एंट्री सुबह 10:10 बजे दर्ज की गई है, लेकिन अपराध स्थल की सुरक्षा, जब्ती रात में की गई। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने वीडियोग्राफी के आधार पर एक समय सीमा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस से सवाल किया और पोस्टमार्टम के समय के बारे में पूछा। सिब्बल ने जवाब दिया कि यह शाम 6:10-7:10 बजे के आसपास था। सुप्रीम कोर्ट ने आगे पूछा कि जब आप शव को पोस्टमार्टम के लिए ले गए थे तो क्या यह अप्राकृतिक मौत का मामला था या नहीं और अगर यह अप्राकृतिक मौत नहीं थी तो पोस्टमार्टम की क्या जरूरत थी? सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अप्राकृतिक मौत का मामला दोपहर 1:45 बजे दर्ज किया गया था।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने सीडी देखी है, हम पुलिस अधिकारियों की हरकतों, शव को कब देखा गया, पुलिस कब आई, अप्राकृतिक मौत की रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, दाह संस्कार और फिर एफआईआर के बारे में जानकारी जुटा सकते हैं। यह अब एफआईआर से भी मेल खाता है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से जनरल डायरी एंट्री पढ़ने का आग्रह किया और कहा कि पुलिस स्टेशन लौटने के बाद रात 11:30 बजे अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया था, यह केवल जीडी एंट्री थी, यही घटनाक्रम है।
सिब्बल ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि यह बर्बरता है। इन सब चीजों से सिर्फ हालात और उलझते जा रहे हैं। एसजी मेहता ने कहा कि हम सिर्फ पानी से कीचड़ हटा रहे हैं। एक वकील ने पोस्टमार्टम से संबंधित कुछ तथ्यों का उल्लेख किया। इस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत में दलील देने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग न करें, क्योंकि उनके पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट पहले से ही है। सोशल मीडिया पर जो कुछ भी है उसे न पढ़ें।
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह बहुत आश्चर्यजनक है क्योंकि पोस्टमार्टम अप्राकृतिक मौत के पंजीकरण से पहले होता है। सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से कहा कि कृपया जिम्मेदारी के साथ बयान दें और जल्दबाजी में बयान न दें। सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से आगे कहा कि जब वह मामले को अगली तारीख के लिए ले जाएगा तो कृपया यहां एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को मौजूद रखें क्योंकि अदालत को अभी तक यह ठीक-ठीक जवाब नहीं मिला है कि अप्राकृतिक मौत का मामला कब दर्ज किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि राज्य चिकित्सा प्रतिष्ठानों में हिंसा की किसी भी आशंका को रोक सकें। इस बीच सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सीआईएसएफ को तैनात किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया कि वे राज्य के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ मिलकर काम पर लौटने के इच्छुक डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बैठक एक सप्ताह के अंदर आयोजित की जाए और राज्य दो सप्ताह के भीतर सुधारात्मक उपाय करें। सुप्रीम कोर्ट 5 सितंबर को सुनवाई जारी रखेगा।