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भारत का पहला सोलर मिशन आदित्य एल-1 नहीं देख सकेगा पूर्ण सूर्य ग्रहण

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दुनियाभर की कई जगहों पर आज पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) लग रहा है। सूरज, चंद्रमा और पृथ्वी जब सीधी रेखा में आएंगे तो सूर्य ग्रहण लगेगा और करीब 4 मिनट तक अंधेरा छा जाएगा।भारत का पहला स्पेस बेस्ड सोलर ऑब्जर्वेट्री आदित्य एल-1 लगातार सूर्य का अध्ययन कर रहा है,लेकिन यह आज पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं देख सकेगा।

अमेरिका में दिखेगा पूर्ण सूर्य ग्रहण

इस सदी में लगभग पहली बार अमेरिका के न्यूयॉर्क के पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों में पूर्ण ग्रहण देखा जा सकेगा।इस खगोलीय घटना के बारे में नासा का कहना है कि 8 अप्रैल, 2024 को, पूर्ण सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका से मैक्सिको और कनाडा से होकर गुजरेगा। पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है। इस दौरान सूर्य का मुख पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है, और आसमान में अंधेरा छा जाता है।ऐसा लगता है कि मानो सुबह से शाम हो गई हो।नासा के पास कई अन्य प्रयोगों के अलावा शैडो छाया को चेज करने के लिए स्पेशल रिसर्च प्लान भी हैं।

पूर्ण सूर्य ग्रहण देखने के लिए अमेरिका में हो रहे कई कार्यक्रम

8 अप्रैल को लगने वाला सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका के बड़े हिस्से में दिखाई दे रहा है। इस दुर्लभ खगोलीय घटना को पूरे अमेरिका में देख रहे हैं।खास बात यह है कि इस खगोलीय घटना को देखने के लिए स्काइडाइविंग से लेकर स्पेशल फ्लाइट्स तक कई कार्यक्रम तक आयोजित किए जा रहे हैं।

आदित्य एल1 नहीं देख सकेगा पूर्ण सूर्य ग्रहण

हालांकि पूर्ण सूर्य ग्रहण की पूरी घटना कई घंटों तक चलेगी, इस दौरान दिन में रात का अनुभव होगा। चार मिनट के लिए आसमान में पूरी तरह से अंधेरा छा जाएगा। लेकिन भारत का आदित्य एल1 सैटेलाइट इस खगोलीय घटना का गवाह नहीं बन पाएगा।ऐसा इसलिए नहीं है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कोई गलती की है, बल्कि इसलिए कि सैटेलाइट को ऐसी जगह पर रखा गया है, जो सूर्य का निर्बाध 24×7, 365 दिन देख सकता है।भारतीय वैज्ञानिकों ने यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसी जगह चुनी कि ग्रहण की वजह से सैटेलाइन के दृश्य में कभी रुकावट न आए।

इस बिंदु पर मौजूद है आदित्य एल1 स्पेसक्राफ्ट

 

इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने पत्रकारों को बताया कि आदित्य एल1 स्पेसक्राफ्ट सूर्य ग्रहण नहीं देख पाएगा, क्योंकि यह स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा के पीछे लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1 बिंदु) पर है और पृथ्वी पर दिखाई देने वाले ग्रहण का उस जगह पर पर ज्यादा महत्व नहीं है। आदित्य एल1 स्पेसक्राफ्ट को सूर्य-पृथ्वी सिस्टम के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों तरफ एक प्रभामंडल कक्षा में रखा गया है, जो पृथ्वी से करीब 1.5 मिलियन किमी दूर है।आदित्य L1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए सैटेलाइट से सूर्य को बिना किसी रुकावट या ग्रहण में भी लगातार देखा जा सकता है

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