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हमास- इसराइल हमले से खतरे में भारत मध्य पूर्व यूरोप कॉरिडोर,ईरानी साजिश संभव

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बीरेंद्र कुमार झा
इसराइल पर हमास के हमले से भारत को भी तगड़ा झटका लगने का डर सता रहा है।यही कारण है कि भारत ने मध्य पूर्व में अपनी सभी साझेदार देशों के साथ संपर्क को बढ़ा दिया है। भारत यह भी समीक्षा कर रहा है कि इसराइल और हमास के संघर्ष का दुनिया पर क्या असर पड़ सकता है।हमास- इजराइल युद्ध में ईरान एक विलेन की तरह उभरा है।माना जा रहा है कि हमले में सबसे ज्यादा फायदा भी ईरान को ही होने है। खुद हमास ने भी स्वीकार किया है कि इसराइल पर हमले में ईरान ने सबसे ज्यादा मदद की थी ,हालांकि तेहरान ने बाद में इससे पल्ला झाड़ लिया।इसके बावजूद ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी और वहां के सर्वोच्च धर्मगुरु अयातुल्लाह अली खुमनी ने हमास के आतंकवादियों की पीठ थपथपाई ।ईरानी राष्ट्रपति ने तो फिलिस्तीनी नागरिकों और हमास की मदद के लिए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से भी बात की।

ईरान ने भारत मध्य पूर्व गलियारे को नुकसान पहुंचाने के लिए कराया हमला

फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ़ डेमोक्रेसी के रिसर्च फेलो हुसैन अब्दुल हुसैन ने कहा कि इसराइल पर हमास के हमले का फिलिस्तीनियों से कोई लेना-देना नहीं था,बल्कि अमेरिका प्रायोजित भारत मध्य पूर्व यूरोपीय आर्थिक गलियारा को नुकसान पहुंचाने के लिए यह योजना बनाई गई थी।भारत मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा (IMEC ) एक व्यापार मार्ग है जो संयुक्त अरब अमीरात,सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल के माध्यम से भारत को यूरोप से जोड़ने की योजना है। आईएमईसी चीन और ईरान के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के साथ स्पर्धा करेगा। उन्होंने दावा किया कि ऐसे हालात में ईरान ने इजरायल के साथ सऊदी अरब के सामान्यकरण को रोकने के लिए हमास को इसराइल पर हमला करने का आदेश दिया।

खमनेई के शीर्ष सहयोगी ने किया जिक्र

सैन अब्दुल हुसैन ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामनेई के शीर्ष सहयोगी अली विलायती ने कहा की जो लोग यह सोचते हैं कि वह वाकई इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करके और इस्लामी देशों के साथ अपने संबंधों को तोड़कर अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि वह मध्य पूर्व जैसे संवेदनशील क्षेत्र के माध्यम से व्यापार गलियारा बनाने जैसी अपनी भोली भाली योजनाओं से इस क्षेत्र की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं। अली विलायती ने आगे कहा कि ऐसी योजनाओं की प्रतिक्रिया से उत्पन्न फिलिस्तीन प्रतिरोध ने साबित कर दिया है कि पश्चिमी उपनिवेशवाद ने जिओनीवादियों (इजरायली) के लिए एक सुरक्षित घर के रूप में जो बनाया है,वह मकड़ी के जाल से भी कमजोर है।

 

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