पिछले 18 वर्षों तक मध्य प्रदेश के सत्ताशीर्ष पर बैठे रहने से लेकर दिसंबर महीने में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणाम आने तक मध्य प्रदेश की सियासत में भारतीय जनता पार्टी का सिरमौर थे शिवराज सिंह चौहान ऊर्फ मामा,(मध्य प्रदेश में वे इस उपनाम से प्रसिद्ध हैं)। इनके अथक प्रयास के बल पर ही बीजेपी ने मध्य प्रदेश में भारी जीत हासिल किया,लेकिन जब इस अभूतपूर्व जीत के बाद मध्य प्रदेश में बीजेपी के मुख्यमंत्री बनने का अवसर आया तो शिवराज सिंह चौहान पीछे धकेल दिए गए और मोहन यादव मध्यप्रदेश के सत्ता शीर्ष पर विराजमान हो गए। मोहन यादव को मध्य प्रदेश में सीएम बने करीब एक महीना होने को आया है लेकिन इस बीच शिवराज सिंह उर्फ मामा भी अपने अनोखे अंदाज से मध्य प्रदेश की सियासत का केंद्र बिंदु बने हुए हैं।
थे और हैं का अंतर
हाल में शिवराज सिंह चौहान का एक बयान सामने आया है, जिसमें कुर्सी जाने के बाद बदली परिस्थितियों में उनका दर्द साफ छलकता है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक कार्यक्रम में ‘ है’ और ‘ थे’ के बीच का अंतर बताया। साथ ही उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ कर इस बयान को संतुलित करने की भी कोशिश की। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राजनीति में बहुत अच्छे कार्यकर्ता और मोदी जी जैसे नेता हैं जो देश के लिए जीते हैं, लेकिन ऐसे लोग भी हैं जो रंग देखते हैं। मुख्यमंत्री हों तो चरण कमल के समान हो जाता है और नहीं हो तो होर्डिंग से फोटो भी ऐसे गायब हो जाता है, जैसे गदहे के सिर से सींग। उन्होंने कहा कि मैं लगातार काम में लगा हुआ हूं और मुझे 1 मिनट की भी फुर्सत नहीं है।अच्छा है , राजनीति से हटकर काम करने का मौका मिल रहा है।
तरह- तरह की चाल चल रहे हैं पूर्व सीएम शिवराज
शिवराज सिंह चौहान जब से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के कुर्सी से उतरे हैं, उनका एक अलग ही अंदाज नजर आ रहा है। अपना अस्तित्व बनाए रखने की दृष्टिकोण से शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के अलग-अलग इलाकों के ताबड़तोड़ दौरा कर रहे हैं और तरह-तरह की बयान भी दे रहे हैं। वह कभी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 29 सीटों (महाराष्ट्र में लोक सभा की 29 सीटें ही है)की माला पहनाने की बात करते हैं, तो कभी अपने ही सरकार के फैसलों के खिलाफ लाइन लेते हुए भी नजर आते हैं।शिवराज सिंह का जोश कभी काफी हाई हो जाता है तो कभी उनके चेहरे से निराशा भी झलकती है। कभी वह अपने बयानों से बीजेपी के समर्पित सिपाही नजर आते हैं, तो कभी इनकी बीजेपी से दूरी भी दिखाई देती है। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है आखिर पूर्व मुख्यमंत्री ने यह कौन सी राह पकड़ ली है।
सीएम से भी बड़ा चेहरा बनना चाहते हैं शिवराज
वैसे तो राजनीति में किसी राज्य के मुख्यमंत्री का चेहरा ही सबसे बड़ा माना जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश में 2005 से ही बीजेपी का पर्याय रहे शिवराज सिंह चौहान जो अब वहां के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं है , लेकिन अब वे वहां मुख्यमंत्री की कुर्सी से भी ऊपर का स्थान यानी सुपर सीएम बनने की तैयारी में लगे हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसके लिए अक्सर इस दिशा में कदम भी उठा रहे हैं। खासकर वे मोहन यादव की सरकार द्वारा लाडली बहन योजना के भविष्य को लेकर संशय की स्थिति को लेकर बयान दे रहे हैं। इसी क्रम में 2 दिन पहले सीहोर जिले के भेरूंडा पहुंचे शिवराज सिंह चौहान उर्फ मामा ने लाडली बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी चिंता मत करना। 10 तारीख को सबके खाते में पैसा आएगा। उन्होंने कहा कि भाई-बहन का रिश्ता, विश्वास का होता है और इस विश्वास की डोर वे कभी नहीं टूटने देंगे। शिवराज सिंह चौहान का यह बयान लाडली बहना योजना के भविष्य को लेकर संदेह के बादल को दूर करने और बहनों को यह संदेश देने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है कि भले ही वे अभी वहां के मुख्यमंत्री नहीं है लेकिन इस मामले में चलेगी उनकी ही।लगे हाथ वे यह भी संदेश देने से नहीं चूकते कि वे एक नेता की तरह नहीं, बल्कि परिवार के सदस्य तरह सब का ख्याल रखेंगे। सब की सेवा का उनका यह अभियान निरंतर जारी रहेगा।