अखिलेश अखिल
बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में कांग्रेस अब विपक्षी एकता को लेकर गंभीर होती जा रही है और इस बात के संकेत मिल रहे हैं पार्टी आगे लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता के साथ मैदान में उतर सकती है। ऐसा हुआ तो कहानी रोचक होगी और बीजेपी की परेशानी भी बढ़ सकती है। रायपुर में चल कांग्रेस अधिवेशन से कुछ बाते साफ़ हो रही है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में विपक्षी एकता को लेकर अब कोई झिझक नहीं है और वे चाह रहे कि बिना एकता बनाये लड़ाई संभव नहीं।
शुक्रवार को कांग्रेस के अधिवेशन के पहले दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोईली ने दावा किया कि कांग्रेस ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और के चंद्रशेखर राव जैसे क्षेत्रीय नेताओं के साथ समझौता करना चाहती है। अधिवेशन के लिए बनी कांग्रेस की राजनीतिक मामलों की समिति के अध्यक्ष वीरप्पा मोइली ने मीडिया को बताया कि पार्टी क्षेत्रीय दलों के साथ साझेदारी चाहती है। उन्होंने कहा- हम मुद्दों को सुलझाएंगे और ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और के चंद्रशेखर राव के साथ काम करेंगे।
खड़गे की बात दोहराते हुए मोईली ने कहा- हमें गठबंधन का नेतृत्व करने की जरूरत है और हम एक साथ काम करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि सभी एक साथ आएं। उन्होंने कांग्रेस को मजबूत करने की जरूरत बताते हुए कहा- कांग्रेस को मजबूत करने की जरूरत है और जब हम मजबूत होंगे, तभी हम नेतृत्व कर सकते हैं। बहरहाल, बताया जा रहा है कि तीन दिन के अधिवेशन के दौरान 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए रोडमैप तैयार करने और समान विचारधारा वाले दलों के साथ चुनावी गठबंधन की रणनीति को अंतिम रूप देने पर बात की जाएगी
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पिछले दिनों नगालैंड में कहा था कि 2024 में विपक्षी गठबंधन केंद्र में सरकार बनाएगा, जिसका नेतृत्व कांग्रेस करेगी। उसके बाद राहुल गांधी ने तृणमूल कांग्रेस को भाजपा का सहयोगी बता कर तीखा हमला किया था। इन दोनों विरोधभासी बातों के बीच कांग्रेस ने 2024 के चुनाव के लिए विपक्ष के साथ गठबंधन करने का साफ संकेत दिया।
याद रहे कांग्रेस पहले से यूपीए चलाती रही है। इस यूपीए में कई दल पहले से ही शामिल हैं। झारखंड में झामुमो के साथ मिलकर उसकी सरकार भी चल रही है जबकि बिहार में कांग्रेस महागठबंधन में शामिल है और सरकार चला रही है। नीतीश कुमार भी चाहते हैं कि विपक्षी एकता हो ताकि बीजेपी को घेरा जा सके। ऐसे में अभी जो तस्वीर सामने आ रही है वह विपक्षी एकता की तरफ इशारा कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अधिवेशन के बाद जल्द ही सभी विपक्षी दलों की बैठक दिल्ली में हो सकती है।