न्यूज़ डेस्क
दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स का सम्मलेन 22 से 24 अगस्त तक चलेगा। इस सम्मलेन में इस संगठन से जुड़े सदस्य देश तो रहेंगे ही इसके साथ ही दुनिया के और भी दर्जनों देशों को इस सम्मलेन में निमंत्रित किया गया है। लेकिन सबकी निगाह पीएम मोदी और जिनपिंग पर टिकी हुई है। वैसे भी यह सम्मलेन भारत के लिए ख़ास है। शिखर सम्मेलन के पहले दिन पीएम मोदी पहली बार चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के आमने-सामने होंगे. पिछले साल बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की छोटी सी बातचीत हुई थी। हालांकि किसी भी पक्ष ने अभी तक आधिकारिक द्विपक्षीय वार्ता का प्रस्ताव नहीं दिया है और न ही दोनों पक्षों ने बैठक से इनकार नहीं किया है।
पिछले दिनों चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया था, बयान में कहा गया था कि पिछले साल बाली जी20 शिखर सम्मेलन में मोदी और जिनपिंग के बीच संबंधों को स्थिर करने के लिए सहमति बनी थी। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान में कहा था दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी।
27 जुलाई को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “पिछले साल बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की ओर से आयोजित रात्रि भोज के अंत में एक-दूसरे का अभिवादन स्वीकार किया और हमारे द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने की आवश्यकता पर बात की थी। ”
बीते दिनों चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में एक लेख छपा था. इस लेख में यह बताने की कोशिश की गई कि किस तरह से पश्चिमी देश विशेष तौर पर अमेरिका, भारत और चीन के जटिलता वाले रिश्तों को तूल दे रहे हैं। लेख में कहा गया कि किस तरह ऐसा करके ब्रिक्स के भविष्य को कम आंक कर दिखाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन चीन अपनी ओर से ये उम्मीद भी जता रहा है कि सीमा विवाद के मुद्दों का असर न तो द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा और न ही ब्रिक्स पर।
इस बीच भारतीय सेना और चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 18 अगस्त को पूर्वी लद्दाख में गतिरोध दूर करने के लिए दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और चेसुल क्षेत्रों में मेजर जनरल स्तर की वार्ता की थी. इससे पहले दोनों देशों के सैन्य अफसरों के बीच कोर कमांडर स्तर की बैठक हो चुकी है।
संभावना है कि पीएम मोदी यूक्रेन युद्ध को तुरंत समाप्त करने और बातचीत और कूटनीति के जरिए इसका समाधान निकालने की आवश्यकता को दोहरा सकते हैं। पिछले साल ब्रिक्स वार्ता की मेजबानी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की थी और मोदी ने इस मौके पर आतंकवाद का मुद्दा उठाया था। इस बार भी वे आतंकवाद के मुद्दे को उठा सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में खाद्य असुरक्षा, आर्थिक सहयोग और ब्रिक्स समूह के सदस्यों की संख्या बढ़ाने जैसे एजेंडों पर चर्चा में भाग लेंगे। मोदी मंगलवार को बिजनेस फोरम को संबोधित करेंगे, जहां उनसे ऐसे समय में ब्रिक्स के महत्व को रेखांकित करने की उम्मीद है जब दुनिया अभी भी महामारी, यूक्रेन युद्ध के परिणामों से जूझ रही है।