बीरेंद्र कुमार झा
बोकारो जिला स्थित कसमार प्रखंड की सेवाती घाटी पर बंगाल फारेस्ट द्वारा बोर्ड लगाकर इसे बंगाल का हिस्सा बताए जाने पर गोमिया विधायक डॉक्टर लंबोदर महतो ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है। शनिवार को मामले की जानकारी मिलते ही विधायक सेवाती घाटी पहुंचे और स्थिति का जायजा लेने के बाद कहा कि बंगाल फॉरेस्ट ने झारखंड की सीमा पर अतिक्रमण कर अंतरराज्यीय सीमा विवाद उत्पन्न किया है। श्री महतो ने कहा इतने बड़े मामले में झारखंड सरकार और संबंधित विभाग की चुप्पी निंदनीय है।
विधानसभा में उठाएंगे यह मुद्दा
एजेएसयू के गोमिया विधायक डॉक्टर लंबोदर महतो ने आरोप लगाया है कि बंगाल फॉरेस्ट ने झारखंड के हिस्से में करीब 50 फुट अंदर अपना बोर्ड लगाकर अतिक्रमण किया है।उन्होंने कहा कि बोर्ड के आगे करीब 50 फुट तक झारखंड सरकार के द्वारा पीसीसी पर एक पुलिया का निर्माण एक दशक से भी अधिक समय पहले हो चुका है, ऐसे में बंगाल ने किस आधार पर इस क्षेत्र को बंगाल का घोषित कर दिया है,यह समझ से परे है।। विधायक लंबोदर महतो ने बताया कि बोकारो समेत अन्य अधिकारियों को इस मामले से अवगत करा दिया गया है। अगर फिर भी जल्दी इस पर कार्रवाई नहीं हुई तो ये मामले को आगे तक ले जाएंगे और विधानसभा में भी उठाएंगे। विधायक ने बताया कि सेवाती घाटी को झारखंड सरकार की पर्यटन सूची में भी शामिल किया गया है। इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की योजनाएं बन रही है। बंगाल सरकार द्वारा इसपर कब्जा बताने से पर्यटन विकास भी बाधित होगा। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
1980 के दसक से लग रहा है टुसू मेला
एजीएसयू के कसमार प्रखंड अध्यक्ष महेंद्र नाथ ने बताया की सेवाती घाटी कसमार प्रखंड समेत झारखंड राज्य की सांस्कृतिक धरोहर भी है। 1980 के दशक से यहां विशाल टुसू मेला का आयोजन हो रहा है। उन्होंने कहा कि आस्था और संस्कृति के साथ जुड़े इस क्षेत्र में बंगाल सरकार के द्वारा अतिक्रमण किया जाना अत्यंत ही निंदनीय है। उन्होंने कहा कि बंगाल फॉरेस्ट को सीमारेखा पर ही अपना वोट लगाना चाहिए था। अगर उसने इसे नहीं हटाया तो पार्टी इसके लिए जन आंदोलन करेगी।
बंगाल पूर्व में भी कर चुका है ऐसी हरकत
यह कोई पहली दफा नहीं है, जब बंगाल की तरफ से इस प्रकार की हरकत की गई हो। इससे पूर्व भी रघुवर दास सरकार के समय दुमका में मसानजोर के पास बंगालने झारखंड के क्षेत्र में अपना बोर्ड लगाया था। बाद में दुमका के बीजेपी विधायक और तत्कालीन कल्याण मंत्री लुईस मरांडी ने जन विरोध करते हुए झारखंड के क्षेत्र से बंगाल के बोर्ड को हटवा दिया ,लेकिन इसके अगले ही दिन रात्रि के समय यहां बंगाल की पुलिस यहां आ धमकी और स्थानीय लोगों को धमकाते हुए फिर से झारखंड की सीमा में ही अपना बोर्ड लगा दिया।कुछ दिनों तक यह बोर्ड लगाने और उखाड़ने का काम चला। इसके बाद राज्य स्तर पर इस मामले की सुनवाई होने के बाद ही बंगाल के बोर्ड को झारखंड के क्षेत्र से हटाकर सीमावर्ती क्षेत्र में लगाया गया।