न्यूज डेस्क
राजस्थान के जैसलमेर के तनोट माता मंदिर एक जाग्रित शक्तिपीठ है। माता तनोट के चमत्कार के आगे पाकिस्तानी सेना भी नतमस्तक हो गई थी।आपने अक्सर देखा होगा कि मंदिरों में पुजारी पूजा और आरती करते हैं। लेकिन तनोट मंदिर में पूजा करने के लिए एक भी पुजारी नहीं है।
इस मंदिर में पूजा-अर्चना से लेकर सारे कामकाज सेना के जवान संभालते हैं। तनोट माता भारतीय सेना के जवानों की आराध्य देवी हैं। मंदिर के रखरखाव और आरती से लेकर सारी जिम्मेदारी बीएसएफ के जवान संभालते है। बीएसएफ के जवानों को आरती करते देख श्रद्धालु भी खुशी से झूमते नजर आते हैं।
पाकिस्तानी सेना ने तीन अलग अलग दिशाओं से तनोट पर हमला किया था। पाकिस्तानी सेना ने मंदिर के आसपास तीन हजार बम दागे। कुल साढ़े चार सौ बम तनोट मंदिर के परिसर में गिरे थे। लेकिन माता का चमत्कार ही था कि एक भी बम नहीं फटा। तनोट माता मंदिर का ये चमत्कार ही था कि साढ़े चार सौ बम गिरने से एक खरोंच तक नहीं आई।
तनोट माता के मंदिर का ये असर था कि। जंग के दौरान पाकिस्तानी सेना ने खुद अपने सैनिकों को ही मारना शुरू कर दिया। पाकिस्तानी अफसरों को भी ये समझ नहीं आ रहा था कि। आखिर तनोट के इलाके में हजारों फेंके गए बम फटे क्यों नहीं। भारतीय सेना और यहां के लोग इसे देवी तनोट माता का ही चमत्कार मानते हैं।
1965 के जंग के दौरान तनोट माता के चमत्कार को देखकर पाकिस्तान सेना भी घबरा गई। तनोट माता के चमत्कार के आगे पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान भी नतमस्तक हो गया था।जंग के बाद शाहनवाज खान ने भारत सरकार से मंदिर के दर्शन करने की अनुमति मांगी थी।भारत सरकार से अनुमति मिलने पर ब्रिगेडियर शाहनवाज खान तनोट माता के मंदिर में आए। उन्होंने न केवल तनोट माताजी के दर्शन किए।बल्कि मंदिर में चांदी का एक छत्र भी चढ़ाया।
तनोट माता के मंदिर का दर्शन करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसलिए माता के इस चमत्कारी दरबार का दर्शन एक बार जरुर करना चाहिए।