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देश और दुनिया इसरो को कर रहा सलाम , चंद्रयान की सफलता पर याद आये नेहरू !

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न्यूज़ डेस्क

एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने भी एक ट्वीट के जरिए इस अभियान के बारे में बात की है। स्वरा ने कहा है कि हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि आज जो सफलता मिल रही है, उसकी बुनियाद किसने रखी थी। स्वरा ने चंद्रयान पर अपनी राय देने के लिए पत्रकार सगारिका घोष के एक ट्वीट को रीट्वीट किया है। इसमें उन्होंने लिखा है, आज जब चंद्रयान3 की लैंडिग हो रही है तो उम्मीद है कि जो लोग चीन और कश्मीर के लिए जवाहर लाल नेहरू पर हमला करते हैं, उनको कुछ सीख मिलेगी। वे भारत को स्पेस रिसर्च और आधुनिक विज्ञान के रास्ते पर ले जाने वाले हमारे पहले प्रधानमंत्री की भूमिका को स्वीकार करेंगे। आप क्रेडिट लें लेकिन आधुनिक भारत की नींव रखने वालों को नजर अंदाज ना करें। इस तरह की राजनीति भी अब शुरू हो गई है हो गई है। कांग्रेस ने कहा यह पंडित नेहरू की दूरदर्शिता का परिणाम है। खड़गे ने कहा चंद्रयान तीन की सफलता प्रत्येक भारतीय की सामूहिक सफलता, 140 करोड़ आकांक्षाओं वाले उत्साहित राष्ट्र ने आज अपने छह दशक लंबे अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक और उपलब्धि देखी।
                मायावती ने कहा चन्द्रयान-3 के चाँद पर सफल लैण्डिग कराकर भारत का नाम दुनिया भर में रौशन करने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई। राहुल गाँधी ने कहा यह 140 करोड़ भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन, चंद्रमा और अंतरिक्ष तक भारत की यात्रा वास्तव में गौरव, लचीलेपन, दृढ़ संकल्प और दूरदर्शिता की कहानी। प्रियंका गाँधी ने कहा 1962 में शुरू हुए भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने आज चंद्रयान-3 के रूप में नई ऊंचाई तय की। और पीएम मोदी ने कहा कि भारत का सफल चंद्रमा मिशन अकेले भारत का नहीं है…यह सफलता पूरी मानवता की है।
चांद की सतह पर सफल लैंडिंग कर ली है। इसी के साथ भारत ने इतिहास रच दिया है। यह सफलता हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन चुका है। आपको बता दें, इसरो का ये मिशन 23 अगस्त (बुधवार) को शाम 6.04 बजे चांद पर उतरा। इसी के साथ चंद्रमा पर उतरने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया।
विक्रम लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू की। अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगे। यानी 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक। 7.4 किमी की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड थी। अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर था।
                 इसके बाद 68 किमी की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो गई। अगला लेवल 800 मीटर था। 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजने लगे।
                150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड थी। यानी 800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच। 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड थी। यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच। 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड थी। चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड थी।
इसरो के चेयरमेन एस सोमनाथ ने इस मिशन की सफलता को लेकर कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने मुझे बुलाया।उन्होंने मुझे और पूरे इसरो परिवार को बधाई दी है।मैं सभी भारतीयों और उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने हमारे लिए प्रार्थना की।मैं किरण कुमार सर, श्री कमलाधर, कोटेश्वर राव को धन्यवाद देना चाहता हूं, वे बहुत मदद कर रहे हैं और टीम का भी हिस्सा हैं।हमें टीम के सभी साथियों से विश्वास मिला।यह कार्य या पीढ़ी नेतृत्व और इसरो वैज्ञानिक हैं।चंद्रयान 3 के साथ खूब संचार हो रहा है।
              साउथ पोल पर लैंडिंग मुश्किल इसलिए होती है क्योंकि ये बेहद रहस्मयी जगह है। यहां सूरज हमेशा क्षितिज पर होता है। परछाई बेहद लंबी बनती है। रोशनी में भी सतह पर साफ नहीं दिखाई देता। लैंडिंग के दौरान बेहद धूल उड़ती है। सेंसर और थ्रस्टर खराब होने का डर रहता है। कैमरे के लेंस पर धूल जमने से मुश्किल आ जाती है। सही दूरी का पता लगाने में भी कठिनाई संभव होती है।
                 जबकि लैंडिंग मुश्किल होने की दूसरी वजह है चांद पर वायुमंडल न होना। इस वजह से पैराशूट लेकर उतर नहीं सकते। नीचे उतरने के लिए थ्रस्टर्स की ज़रूर पड़ती है। थ्रस्टर्स के लिए भारी मात्रा में ईंधन जरूरी होता है। सीमित ईंधन होने से गलती की गुंजाइश नहीं होती। इसके अलावा चांद पर कोई जीपीएस भी नहीं होता। जिसके चलते लोकेशन बताने वाला सैटेलाइट काम नहीं करता। ऐसे में लैंडिंग की सटीक पोजिशन पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

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