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कशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह प्रस्तावित हरिद्वार कॉरिडोर का काफी विरोध अब होने लगा है। स्थानीय लोग तो इसका विरोध पहले से ही कर रहे थे लेकिन जबसे बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस कॉरिडोर के खिलाफ आवाज उठाई तब से हरिद्वार की जनता भी स्वामी के सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं। स्वामी ने कहा है कि हरिद्वार में कॉरिडोर की आवश्यकता नहीं है। इससे हरिद्वार की नैसर्गिक और वास्तविक सुंदरता समाप्त हो जाएगी, इसलिए सरकार को पुनर्विचार करते हुए कॉरिडोर का निर्माण नहीं करना चाहिए। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि काशी विश्वनाथ में कॉरिडोर के दौरान अनेक मंदिर मठ तोड़े गए थे।
बता दें कि सरकार ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह ही हर की पैड़ी कॉरिडोर का निर्माण चाहती है और इसकी शुरुआत 2024 से की जानी है। योजना के मुताबिक हर की पैड़ी पहुँचने के लिए चार द्वार बनाये जाने है। लेकिन अब यह कॉरिडोर का धार्मिक से लेकर आम जनता तक विरोध कर रहे हैं। विरोध के स्वर अब इतने तीब्र हो रहे हैं कि अब सुब्रह्मण्यम स्वामी के बाद गंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष राम कुमार मिश्रा ने भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि हरिद्वार में बनने वाले हर की पैड़ी कॉरिडोर निर्माण पर पुनर्विचार किया जाए। धर्मनगरी हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित और गंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष राम कुमार मिश्रा ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार काशी विश्वनाथ की तर्ज पर हर की पैड़ी पर भी कॉरिडोर के निर्माण की योजना ला रही है, लेकिन दोनों तीर्थ स्थानों की भौगोलिक और क्षेत्रीय परिस्थितियों में काफी अंतर है।
उन्होंने कहा कि जहां एक ओर काशी विश्वनाथ मंदिर में आने-जाने के लिए छोटी-छोटी गलियां थीं। उसके अलावा गंगा घाट से भी आने-जाने का कोई साधन नहीं था। इसके विपरीत हर की पैड़ी पर मुख्य मार्ग के अलावा भीमगोडा से कांगड़ा मंदिर तक गंगा किनारे भव्य काफी चौड़ा घाट पंतदीप,रोड़ी बेलवाला, सीसीआर टावर से आने-जाने वालों के लिए पुल बने हुए हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के और बढ़ती भीड़ के दबाव को कम करने के लिए प्रत्येक कुंभ में हर की पैड़ी पर आवागमन के लिए अस्थायी लोहे के पुल बनाए जाते हैं।
पत्र में यह भी लिखा गया है कि व्यवस्था को सरकार और बेहतर बनाना चाहती है तो इसमें भी और संशोधन करके वीआईपी घाट के निकट से ही पुल बनाकर हर की पैड़ी पर आने-जाने को और अधिक सुरक्षित बना सकती है कुल मिलाकर पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री को धर्म नगरी की पौराणिकता का हवाला देकर पुनर्विचार करने की बात लिखी गई है।