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यूपी बांदा की महिला सिविल जज ने आखिर सीजीआई से इच्छा मृत्यु की मांग क्यों की ?

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न्यूज़ डेस्क
‘मेरे साथ बहुत ही बुरा व्यवहार किया गया। मेरा काफी हद तक यौन शोषण किया गया। मुझे उम्मीद थी कि मैं दूसरों को न्याय दिलाऊंगी। मैं कितनी भोली थी। एक पोस्टिंग के दौरान जिला जज और उनके करीबियों ने मेरा यौन उत्पीड़न किया। मुझे रात में मिलने के लिए कहा गया था।’
” मैंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत अन्य अधिकारियों से इस मामले की शिकायत की, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि किसी ने एक बार मुझसे यह पूछने की भी जहमत नहीं उठाई कि क्या हुआ, आप क्यों परेशान हैं।” ये बयान है यूपी की बांदा जिले की महिला जज की।
महिला जज ने अपनी ये शिकायत सीजेआई चंद्रचूड़ से की है। इस शिकयत के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर यह खबर काफी वायरल हुआ। देश के भीतर इस बात को लेकर चर्चा भी होने लगी कि जब इस देश की महिला जज की सुरक्षित नहीं है तब ऍम लोगों के बारे में की कुछ कहा जा सकता है।
जाहिर है उत्तर प्रदेश की एक महिला सिविल जज ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने इच्छा मृत्यु की मांग की है। उनकी इच्छामृत्यु वाली चिट्ठी पर सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट तलब की है।
रिपोर्ट के मुताबिक, देर रात सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट सेकेट्री जनरल अतुल एम कुरहेकर को इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगने का आदेश दिया। सेकेट्री जनरल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर महिला जज द्वारा दी गई सारी शिकायतों की जानकारी मांगी। इसके साथ ही शिकायत से निपटने वाली आंतरिक शिकायत समिति के समक्ष कार्यवाही की स्थिति के बारे में भी पूछा।
बता दें, उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में तैनात महिला सिविल जज द्वारा मुख्य न्यायाधीश को लिखे गए पत्र के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। जज ने यौन प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए इच्छामृत्यु की मांग की है। चिट्ठी में दावा किया गया है कि एक पोस्टिंग के दौरान जिला जज और उनके करीबियों ने उनके साथ मानसिक और शरीरिक शोषण किया। इसके अलावा जिला जज ने रात में मिलने का उनपर दबाव भी बनाया।
बता दें कि महिला जज ने अपनी शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई न होने से निराशा जाहिर करते हुए चिट्ठी लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की। उन्होंने चिट्ठी में सीजेआई से कहा, ‘कृपया मुझे सम्मानजनक तरीके से अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति दें।’ उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा कि वो बेहद उत्साह से जज की परीक्षा देकर न्यायिक सेवा में आई थीं, लेकिन उन्हें भरी अदालत में दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा।

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