Homeदुनियायूरोप में दक्षिणपंथी पार्टियों की लहर,इटली की पीएम जार्जिया मेलोनी बनी किंगमेकर !

यूरोप में दक्षिणपंथी पार्टियों की लहर,इटली की पीएम जार्जिया मेलोनी बनी किंगमेकर !

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न्यूज़ डेस्क
 यूरोपीय संघ के संसदीय चुनावो में दक्षिण पंथी पार्टियों की लहर देखने को मिल रही है। संघ के तीन देशों जर्मनी ,फ़्रांस और इटली में दक्षिण पंथी पार्टियों ने बेहतरीन जीत हासिल की है। साथ ही कई अन्य यूरोपीय देशों जैसे आस्ट्रिया और बेल्जियम में भी दक्षिणपंथी पार्टियों ने बड़ी जीत हासिल की है। 

 फ्रांस में संसद के मध्यावधि के चुनावों की घोषणा कर दी गई है और बेल्जियम के प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर डी क्रू ने राष्ट्रीय और यूरोपीय संघ के चुनावों में पार्टी की हार के बाद इस्तीफा दे दिया है। 

 सबसे बड़ी जीत इन चुनावों में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की देखने को मिली है, जो सत्ता विरोधी लहर के बीच अपना वोट प्रतिशत और सीटें बढ़ाने में कामयाब रहीं। इन चुनावों के बाद उन्हें दो कारणों से यूरोप के किंगमेकर की तरह देखा जा रहा है। चुनावों में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मनी के ओलाफ शॉल्त्स की स्थिति कमजोर होने के बाद जॉर्जिया मेलोनी यूरोप की सबसे मजबूत राजनीतिज्ञ बनकर उभरी हैं। 

इन चुनावों में उनकी ब्रदर्स पार्टी को करीब 29 वोट मिले, जो कि पिछले साल हुए राष्ट्रीय चुनावों के 26 फीसदी से भी ज्यादा हैं। इस तरह यूरोप की संसद में उनकी सीटें पिछली बार के 6 की तुलना में चार गुना बढ़कर करीब 23 से 25 होने जा रही हैं। दूसरी तरफ यूरोप के दो सबसे मजबूत नेताओं के कमजोर होने के बाद उन्हें यूरोप के सेंटर राइट समूह और फार राइट समूहों के बीच की कड़ी की तरह देखा जा रहा है।

फ्रांस में नेशनल रैली पार्टी की दक्षिण पंथी नेता मैरीन ले पेन ने यूरोप में सबसे बड़ा उलटफेर किया है। उनकी पार्टी करीब 33 फीसदी वोट लेकर फ्रांस का सबसे बड़ा दल बनकर उभरी है और उनको यूरोप की संसद में करीब 31 सीटें मिलना तय माना जा रहा।  

जबकि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी को सिर्फ 15 फीसदी वोट मिले हैं। निराश मैक्रों ने तत्काल संसद भंग करते हुए संसद के मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी है। अगर संसदीय चुनाव में भी मैक्रों की हार होती है तो उनके लिए राष्ट्रपति के रूप में बचे हुए तीन साल का कार्यकाल पूरा करना मुश्किल हो सकता है।

जर्मनी में धुर दक्षिणपंथी और नाजी विचारधारा के करीब मानी जाने वाली अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) पार्टी चुनावों में जर्मनी में दूसरे स्थान पर रही है। अगले साल जर्मनी में होने वाले संघीय चुनावों को देखते हुए एएफडी की इस बढ़त को अहम माना जा रहा है।   वहीं मुख्य विपक्षी दल क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक एलायंस वाले गठबंधन को सबसे अधिक 30 फीसदी वोट मिले हैं। जबकि शॉलत्स के सत्तारुढ़ गठबंधन को करीब 19 फीसदी वोट मिले हैं।

ऑस्ट्रिया में धुर दक्षिणपंथी फ्रीडम पार्टी को पहली बार सबसे अधिक 26 फीसदी वोट मिले हैं। जबकि सत्तारूढ़ पीपुल्स पार्टी को 24, सोशल डेमोक्रेट को 23 फीसदी वोट मिले हैं।

जबकि बेल्जियम में दक्षिणपंथी न्यू फ्लेमिश अलायंस बेल्जियम में हुए चुनावों में सबसे बड़ी विजेता बनकर उभरी, जबकि अति दक्षिणपंथी समर्थक और अलगाववादी व्लाम्स बेलांग पार्टी दूसरे स्थान पर रही। फ्लेमिश अलायंस (एन-वीए) को 18.6% वोट मिले, जबकि व्लाम्स बेलांग को 15.4% वोट मिले। जबकि प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर डी क्रू की पार्टी को सिर्फ 6 फीसदी वोट मिले हैं।

नीदरलैंड और हंगरी में जारी उभारः उधर, नीदरलैंड में गीर्ट वाइल्डर्स की प्रवासी विरोधी दक्षिणपंथी पार्टी फॉर फ्रीडम को 6 सीटें मिलने का अनुमान है, जो केंद्र-वाम और ग्रीन पार्टियों की तरफ से हासिल सीटों से सिर्फ 2 सीटें कम हैं। उधर, हंगरी में प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की राष्ट्रवादी पार्टी फाइड्ज सबसे ज्यादा मत हासिल करने में कामयाब रही ।

यूरोप में दक्षिण पंथ के इस उभार के बाद अब भी यूरोप में सेंटर राइट दलों को बहुमत हासिल है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वान डेर लेयन ने घोषणा की है कि हम चुनाव जीत चुके हैं। इसकी वजह है 720 सदस्यीय यूरोपीय संसद में उनके यूरोपियन पीपुल्स समूह को सीटें पिछली बार की तुलना में 8 बढ़कर 184 हो जाना। हालांकि लेयन ने माना कि चुनावों में अतिवादी दक्षिण और वाम दलों को बढ़त मिली है, पर यूरोप के केंद्र में अब भी सेंटर राइट दल ही हैं, जो पूरे यूरोप को बांधते हैं।

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