जेएमएम के पूर्व विधायक और पार्टी से निष्कासित नेता लोबिन हेम्ब्रम ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया है।बीजेपी ज्वाइन करने से कुछ देर पहले पत्रकारों से बातचीत में लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि मैं जेएमएम से नाराज होकर बीजेपी ज्वाइन नहीं कर रहा हैूं,बल्कि मैं जेएमएम इसलिए छोड़ रहा हूं और बीजेपी में जा रहा हूं क्योंकि कुछ समय से ऐसे लोग पार्टी में एक्टिव हो हैं और चाटुकारिता की राजनीति कर रहे हैं, जिससे पार्टी को बहुत नुकसान हो रहा है।सीएम हेमंत सोरेन भी उन्हीं लोगों के साथ खड़े हैं। पार्टी में आज समर्पित कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं है, चाहे वो नया हो या पुराना सबका अपमान हो रहा है।
लोबिन हेम्ब्रम जेएमएम के ऐसे नेता है, जिन्होंने हमेशा विरोधी रुख रखा और कई मुद्दों पर अपनी ही पार्टी को लताड़ा भी है। लोबिन हेम्ब्रम ने अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री को हमेशा सवालों के घेरे में रखा है और यह आरोप भी लगाया कि जिन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए झारखंड का गठन हुआ था, वो अब तक संभव नहीं हुआ है। लोबिन हेम्ब्रम ने हमेशा कहा कि हेमंत सरकार आदिवासियों के हित की बात तो करती है, लेकिन सीएनटी, एसपीटी और पेसा एक्ट के बावजूद आदिवासियों की जमीन हड़पी जाती है।आदिवासी हमेशा अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करता रहा है।
लोबिन हेम्ब्रम ने बागी रुख अपनाते हुए कई बार सरकार के खिलाफ आंदोलन भी किए. उन्होंने हमेशा यह कहा कि सरकार अपने उद्देश्यों से भटक गई है। 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान लोबिन हेम्ब्रम बागी हो गए और राजमहल संसदीय क्षेत्र से इन्होंने पार्टी के उम्मीदवार विजय हांसदा का विरोध करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस बागी तेवर की वजह से उन्हें पार्टी से निलंबित भी कर दिया गया था और 25 जुलाई को दल-बदल कानून के तहत उन पर कार्रवाई हुई और उनकी विधानसभा की सदस्यता को रद्द कर दिया गया था।राजमहल सीट से चुनाव लड़ने के दौरान उन्होंने यह दावा किया था कि क्षेत्र में ना तो बीजेपी का और ना ही जेएमएम नेता विजय हांसदा का कोई प्रभाव है और वे चुनाव जीत जाएंगे, लेकिन परिणाम उनके दावे के विपरीत आया।
लोबिन हेम्ब्रम साहिबगंज जिले के बोरियो विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक चुने गए हैं। वे शिबू सोरेन के करीबी नेताओं में से एक हैं और इन्होंने झारखंड आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी।