महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों चाचा शरद पवार और भतीजा अजित पवार लाइम लाइट में बने रहते हैं।इनकी एक एक- एक हरकत खबरों की सुर्खियां बन जाती है। ऐसी ही एक घटना शनिवार की है जब भतीजा अजीत पवार के सामने आते ही चाचा शरद पवार खड़े हो गए और फिर जब चाचा शरद पवार ने कुछ कहना चाहा तो भतीजा अजीत पवार ने ऐसा कुछ कह दिया कि चाचा शरद पवार 2 घंटे तक कुछ भी बोलने से बचते रहे।
दरअसल, एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार शनिवार को एक आधिकारिक बैठक में शामिल होने पहुंचे थे।इस बैठक में वे उस वक्त सम्मान व्यक्त करते हुए खड़े हो गए जब उनकी पार्टी छोड़कर उनका अपना भतीजा अजीत पवार जो फिलहाल महाराष्ट्र के शिंदे सरकार में उपमुख्य मंत्री हैं ने बैठक में प्रवेश किया। इसके अलावा बैठक में एक और बड़ी घटना घटी। जब चाचा शरद पवार ने भतीजा अजीत पवार से कुछ पूछना चाहा तो भतीजा अजीत पवार ने उन्हें चुप करा दिया। इसके बाद शरद पवार पूरी बैठक चलने तक कुछ भी नहीं बोले।
इस खबर के सामने आने के बाद तरह – तरह की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई।इसके बाद शरद पवार की बेटी और बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी।प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि उनके पिता शरद पवार ने बैठक में प्रोटोकॉल का पालन किया था। उन्होंने सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को उनके द्वारा पेश उदाहरण पर चलने की सलाह दी।
गौरतलब है कि 83 साल के शरद पवार जिला योजना और विकास परिषद की एक बैठक में राज्यसभा सदस्य के रूप में शिरकत करने पहुंचे थे। उनका भतीजा अजित पवार जिले के प्रभारी मंत्री के रूप में इस बैठक का अध्यक्ष थे।ऐसे में अजित पवार जैसे ही अंदर आए , पहले से ही वहां मौजूद वरिष्ठ नेता और उनके चाचा शरद पवार भी अन्य प्रतिभागियों की तरह उनके सम्मान में खड़े हो गए। इसपर सुप्रिया सुले ने शाम को पिंपरी चिंचवाड में अपनी पार्टी की रैली में कहा कि उनके पिता ने प्रोटोकॉल का पालन किया और खड़े हो गए क्योंकि अजीत पवार अध्यक्ष थे। सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इससे प्रेरणा लेने की जरूरत है.
वहीं सुप्रिया सुले ने अजीत पवार द्वारा शरद पवार को चुप करा देने की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब बैठक में शरद पवार ने बैठक की अध्यक्षता कर रहे अजीत पवार से कुछ सवाल पूछे तो अजीत पवार ने उन्हें नियम दिखाने का प्रयास किया।सुप्रिया सुले ने बताया की अजीत पवार ने नियम बताते हुए कहा कि सांसद केवल आमंत्रित सदस्य हैं,उन्हें सवाल नहीं पूछना चाहिए।उन्होंने इस संबंध में एक सरकारी प्रस्ताव का हवाला देने का भी प्रयास किया। उन्होंने कहा कि मैं 18 साल से सांसद हूं। सभी सांसदों और विधायकों ने हमेशा डीपीसी के बैठकों में सवाल उठाया है। इतने सालों बाद अचानक यह नियम पुस्तिका क्योंकर सामने लाई गई और वह भी शरद पवार पर नियम पुस्तिका फेंकना जो 83 साल के हैं और न केवल महाराष्ट्र के बल्कि भारत में सबसे बड़े नेता हैं,बेहद अनुचित है।