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14 सितम्बर को जयपुर में होगा ”सुरक्षित एवं संरक्षित बांधों द्वारा राष्ट्र की समृद्धि सुनिश्चित” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन !

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न्यूज़ डेस्क 

दुनिया में बांधों की सुरक्षा पर 14 सितम्बर को जयपुर में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन का उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ करेंगे। यह सम्मलेन जल शक्ति मंत्रालय का जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग आयोजित कर रहा है। इस सम्मलेन में दुनिया भर के  जाने माने विशेषज्ञ और अग्रणी व्यक्ति, बांध सुरक्षा बढ़ाने की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए एकत्रित होंगे। उपराष्ट्रपति  जगदीप धनखड़ “सुरक्षित और संरक्षित बांधों द्वारा राष्ट्र की समृद्धि सुनिश्चित” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। उम्मीद है कि देश भर के और लगभग पंद्रह देशों के पेशेवर बांध सुरक्षा और प्रबंधन का कार्य आगे बढ़ाने के लिए समर्पित इस अभूतपूर्व कार्यक्रम में भाग लेंगे।         
           भारत में 6,000 से अधिक बांध हैं। भारत बड़े बांधों के मामले में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर हैं और इनमें से लगभग 80 प्रतिशत बांध 25 वर्ष से अधिक पुराने हैं, जबकि 234 बांध 100 वर्षों से ज्यादा पुराने हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, सम्मेलन का उद्देश्य भारत और दुनिया भर के विशेषज्ञों को एक स्थान पर लाने और बांध सुरक्षा और प्रबंधन में अत्याधुनिक विषयों पर चर्चा करने के लिए एक प्रमुख स्थान प्रदान करना है। इसके अतिरिक्त, सम्मेलन में बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना चरण II और III के उद्देश्यों के साथ ही परियोजना भारत में बांध सुरक्षा सुधार में कैसे योगदान देती है, इस पर विशेष रूप से चर्चा की जाएगी। जानकारी से भरे अनेक सत्र पेशेवरों और संगठनों को बांधों से संबंधित ज्ञान, अनुभव, प्रौद्योगिकियों, नवाचारों और सुरक्षा प्रयासों पर केंद्रित चर्चा में शामिल होने में मदद करेंगे। 
                     खर के मुताबिक उद्घाटन सत्र का एक मुख्य आकर्षण विनाइल-आवरण वाली ‘पानी की रेल’ यानी दो प्रमुख ट्रेनों, हिमसागर एक्सप्रेस और कामाख्या एक्सप्रेस को रवाना करना होगा, जो जल संरक्षण और प्रबंधन, नदी पुनर्जीवन और पेयजल और बेहतर स्वच्छता के महत्व के महत्वपूर्ण संदेश को बढ़ावा देने के लिए एक चलते-फिरते बिलबोर्ड के रूप में कार्य करेंगे।
                  जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय जल मिशन के नेतृत्व में रेल मंत्रालय के सहयोग से “पानी की  रेल” शीर्षक से यह अनूठी पहल, महत्वपूर्ण जल संरक्षण परियोजनाओं की बानगी प्रस्तुत करेगी, जो समुदाय द्वारा संचालित जल संरक्षण एवं प्रबंधन के संबंध में प्रधानमंत्री की कल्पना को परिलक्षित करती है। इस पहल का प्राथमिक उद्देश्य देश के कोने-कोने तक पहुंच कर जल संरक्षण के महत्वपूर्ण संदेश को प्रसारित करना है । ये ट्रेनें देश के लाखों लोगों तक पहुंचकर अपनी छाप छोड़ेंगी और  पानी को एक सीमित और अमूल्य संसाधन मानने का महत्व बताएंगी।
                    सम्मेलन तकनीकी सत्रों के साथ जारी रहेगा जिसमें बांध सुरक्षा के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियों और नवीन दृष्टिकोणों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इन सत्रों में बांधों की निगरानी, निरीक्षण और पुनर्वास सहित विभिन्न पहलुओं को शामिल किया जाएगा। दूसरे दिन दो तकनीकी सत्र होंगे।  एक बांधों की स्थिति के मूल्यांकन पर केंद्रित होगा, बांधों की संरचनात्मक सम्पूर्णता के मूल्यांकन के लिए नवीनतम तरीकों को प्रस्तुत करना, और दूसरा बांध सुरक्षा के औद्योगिक अनुप्रयोग पर जोर देने, जल विद्युत, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के लिए बांधों के उपयोग को प्रदर्शित करने पर केन्द्रित होगा। सम्मेलन के दौरान, बांध सुरक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में नवीनतम विकास, प्रौद्योगिकियों और समाधानों को प्रदर्शित करने वाले उत्पादों, चार्ट, बैनर और तस्वीरों के प्रदर्शन/प्रदर्शनी के लिए कार्यक्रम स्थल पर एक प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी।
                 बाँध आधुनिक भारत का बहुत बड़ा प्रतीक हैं। बांध सभ्यता के विकास के लिए आवश्यक रहे हैं, और इन्होंने पीने के पानी, सिंचाई, जलविद्युत और बाढ़ सुरक्षा की बढ़ती मांग को पूरा करने में बहुआयामी भूमिका निभाई है। कल्लनई बांध से, राजा कारिकलन चोल द्वारा दूसरी शताब्दी ईस्वी में बनाए गए पहले बांध के बाद  भारत वर्तमान समय में 6,000 से अधिक बांधों का दावा करता है, जो इसे बड़े बांधों के मामले में विश्व स्तर पर तीसरा बनाता है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण है।

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