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ईरानी राष्ट्रपति के जनाजे में शामिल होने के लिए सड़कों पर उतरे हजारों लोग

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न्यूज़ डेस्क 
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के अचानक निधन होने से पूरी दुनिया सदमे में है। वहीं ईरान में शोक की लहर है। हजारों लोग अपने राष्ट्रपति और उनके दल के सदस्यों के जनाजे के लिए मंगलवार को सड़कों पर दिखाई दिए।नम आंखों के साथ ईरानी झंडे और दिवंगत राष्ट्रपति की फोटो लहराते हुए लोग उत्तर-पश्चिमी शहर तबरीज के केंद्रीय चौक से रवाना हुए।

बता दें, ईरान के राष्ट्रपति रईसी रविवार को पूर्वी अजरबैजान से लौट रहे थे। तभी अजरबैजान के सीमावर्ती शहर जोल्फा के करीब दुर्घटना घटी। सोमवार को सभी के मरने की पुष्टि हुई। आज भारत में राष्ट्रीय शोक मनाया जा रहा है।

ईरान के राष्ट्रपति रईसी, विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दोल्लाहियन, पूर्वी अजरबैजान के गवर्नर मालेक रहमती समेत नौ लोगों की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई। ईरान में पांच दिन का राष्ट्रीय शोक मनाया जा रहा है।

हेलीकॉप्टर हादसे में इब्राहिम रईसी की मौत के बाद उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने मोखबर को अंतरिम कार्यभार सौंपा। खामनेई ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 131 के अनुसार मोखबर को यह कार्यभार सौंपा गया है। मोहम्मद मोखबर को 50 दिनों के भीतर राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी के लिए न्यायिक प्रमुखों के साथ काम करना होगा।              

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का जन्म 1960 में उत्तरी पूर्वी ईरान के मशहद शहर में हुआ था। रईसी के पिता एक मौलवी थे। जब वह सिर्फ पांच साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। रईसी का शुरुआत से ही धर्म और राजनीति की ओर झुकाव रहा और वो छात्र जीवन में ही मोहम्मद रेजा शाह के खिलाफ सड़कों पर उतर गए। रेजा शाह को पश्चिमी देशों को समर्थक माना जाता था।

पूर्वी ईरान के मशहद शहर में शिया मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र मानी जाने वाली मस्जिद भी है। वे कम उम्र में ही ऊंचे ओहदे पर पहुंच गए थे। अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए उन्होंने 15 साल की उम्र से ही कोम शहर में स्थित एक शिया संस्थान में पढ़ाई शुरू कर दी थी।

अपने छात्र जीवन में उन्होंने पश्चिमी देशों से समर्थित मोहम्मद रेजा शाह के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था। बाद में अयातोल्ला रुहोल्ला खुमैनी ने इस्लामिक क्रांति के जारिए साल 1979 में शाह को सत्ता से बेदखल कर दिया था।

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