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देश के 151 जनप्रतिनिधियों पर महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामले ,फिर महिलाओं की सुरक्षा गारंटी कौन ले ?

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न्यूज़ डेस्क
महिलाओं और बहु बेटियों के खिलाफ हुए मामले को लेकर देश उबाल पर है। चारो तरफ महिलाओं के साथ दुराचार के मामले सामने आ रहे हैं। अब यह देश के भीतर राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है। 

लेकिन, विडंबना यह है कि कानून बनाने वाली संसद और विधानसभाओं में अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते समय हम सब भूल जाते हैं। राजनीतिक पार्टियां ऐसे नेताओं को टिकट दे देती हैं और हम मिलकर उन्हें संसद और विधानसभाओं में भेज देते हैं। जब कानून बनाने वालों का दामन दागदार रहेगा तो देश की बहू-बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कौन उठाएगा?

यह सवाल इसलिए कि चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म यानी एडीआर ने सांसदों-विधायकों के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण करने के बाद अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है हमारे 151 जन-प्रतिनिधियों पर महिलाओं से अपराध के मुकदमे चल रहे हैं। उनमें 16 पर तो सीधे-सीधे बलात्कार का केस चल रहा है।

ये आंकड़े सिर्फ उन जनप्रतिनिधियों के हैं जिनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। ऐसे दागी नेताओं की वास्तविक संख्या का तो सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है जिनकी आपराधिक प्रवृति के किस्से तो सभी की जुबान पर रहते हैं पर मुकदमा दर्ज कराने की हिम्मत कोई नहीं दिखा पाता।

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, महिला अपराध से संबंधित सबसे ज्यादा मामले पश्चिम बंगाल के सांसदों-विधायकों पर चल रहे हैं। उसी पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक रेजिडेंट डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या के मामले ने देश को हिला कर रख दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं से अपराध के मुकदमे का सामना कर रहे जन-प्रतिनिधियों में सबसे ज्यादा भाजपा (54) के हैं। उसके बाद कांग्रेस के 23 और टीडीपी के 17 सांसद और विधायक हैं। 

एडीआर ने 2019 और 2024 के बीच चुनावों के दौरान भारत के चुनाव आयोग को सौंपे गए मौजूदा सांसदों और विधायकों के 4,809 हलफनामों में से 4,693 की जांच की। संगठन ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों का सामना कर रहे 16 सांसदों और 135 विधायकों की पहचान की।

रिपोर्ट के अनुसार, 16 मौजूदा सांसद-विधायक ऐसे हैं जिन्होंने भारतीय दंड संहिता  की धारा 376 के तहत बलात्कार से संबंधित मामलों की घोषणा की है, जिसके लिए न्यूनतम 10 साल की सजा है और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। इनमें से दो सांसद और 14 विधायक हैं। 

आरोपों में एक ही पीड़ित के खिलाफ बार-बार अपराध करना भी शामिल है, जो इन मामलों की गंभीरता को और भी अधिक रेखांकित करता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही पांच-पांच मौजूदा विधायक बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे हैं।

महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित आरोपों का सामना कर रहे 25 मौजूदा सांसदों और विधायकों के साथ पश्चिम बंगाल इस सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद आंध्र प्रदेश में 21 और ओडिशा में 17 सांसद और विधायक हैं। 

दिल्ली में 13 विधायक, महाराष्ट्र में 12 विधायक और एक सांसद, बिहार में आठ विधायक और एक सांसद ने अपने हलफनामे में महिला से सबंधित अपराध के केस दर्ज होने की बात कही है। कर्नाटक में सात विधायक, राजस्थान में छह और मध्यप्रदेश में पांच विधायकों ने महिलाओं से संबंधित अपराध के मामले घोषित किए हैं। यूपी में तीन विधायक और एक सांसद पर महिला अपराध के केस चल रहे हैं।

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