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लड़की कीआवाज बोल बनाया जाता था मजाक,आगे चल बना अमिताभ बच्चन की आवाज

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सुदेश भोंसले का नाम हिंदी सिनेमा के उन चुनिंदा सिंगर्स में शुमार है,जो पिछले 45 साल से संगीत में सक्रिय हैं। उन्हें महानायक अमिताभ बच्चन की आवाज भी माना जाता है।बीते दिनों उन्हें महाराष्ट्र स्टेट फिल्म अवार्ड की तरफ से हिंदी सिनेमा के संगीत में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

महाराष्ट्र सरकार द्वारा अवार्ड दिए जाने को लेकर सुदेश भोंसले खासे उत्साहित हैं।उन्होंने कहा की सच कहूं तो मैं अवार्ड के बारे में सोचता नहीं हूं। कई बार देश विदेश में रहने वाले हमारे फैन्स हैं मुझसे कहते हैं कि आपकी वजह से मेरी जिंदगी में खुशियां आई है,तब में पुलकित हो जाता हूं। मेरे लिए यही सबसे बड़ा अवार्ड है।मैंने हमेशा इस बात की कोशिश की है कि मैं बिलो द बेल्ट वाली कोई चीजें ना गाऊं।मैं कभी भी ऐसी कोई चीज नहीं करना चाहता हूं, जिसमे मुझे सोसाइटी और मेरे ऑडियंस के सामने मुझे नीचा देखना पड़े। अवार्ड, आपके काम की तारीफ होती है और जब आपकी सरकार आपका सम्मान कर रही है, तो यह और भी खास बन जाता है। 45 सालों से मैं इंडस्ट्री में सक्रिय हूं।मुझे लोग तो बहुत प्यार दे ही रहे हैं।अभी अवार्ड मिल गया है, तो मुझे लगता है कि मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। में और ज्यादा रियाज करूंगा ताकि लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतर पाऊं।मैं यही कहूंगा कि अवार्ड अवार्ड है। जब भी मिले यह मान बढ़ाता है,इसमें देर सवेर नहीं देखा जाता है।

अपनी जिंदगी के बारे में बताते हुए सुदेश भोंसले ने कहा कि शुरुआत में मैं एक पेंटर था। 1974 से 1982 तक में फिल्म का पोस्टर पेंट किया करता था। मेरे पिता एन आर भोंसले बहुत फेमस पेंटर थे।हमारा वर्ली में पोस्टर पेंटिंग का स्टूडियो था। उन्होंने मुग़ले- आज़म,राजश्री फिल्म्स से लेकर कई बड़े एक्टर्स का पोस्टर बनाया था।मैंने प्रेम नगर का पोस्टर बनाया था। इसके अलावे और भी कई पोस्टर मैने बनाए थे।हां मेरी मां सुमन ताई भोंसले अच्छी गायिका थी।ऐसे में म्यूजिक मेरे अंदर था , लेकिन मैं सिंगर बन सकता हूं,यह मैंने सोचा भी नहीं था। मुझे और मेरे घर वाले सभी को लगता था कि मैं पेंटर ही रहूंगा।

अपनी जिंदगी का दिलचस्प वाकया बताते हुए सुदेश भोंसले ने कहा कि मैं बताना चाहूंगा कि बचपन में जब मैं बोलता था तो लोग कहते थे कि यह तो लड़की की आवाज है। गाना भी गाता था तो लोग कहते थे कि यह लड़की की आवाज है।18 साल की उम्र के बाद मेरी आवाज मेच्योर हुई ।मैं धीरे -धीरे सहगल साहब और बर्मन दा की आवाज में गाने लगा था। एक दिन मैंने पाया कि मैं अमिताभ बच्चन की मिमिक्री कर सकता हूँ।यह पूरी तरह से गॉड गिफ्ट है।अगर यह मेरी मर्जी होती तो मैं सब की आवाज निकालता, लेकिन यह भगवान की मर्जी है इसलिए मैं सभी की नहीं बल्कि कुछ खास लोगों की आवाज निकाल पाता था।अपनी इन्ही खूबियों की वजह से कब ब्रश मेरे हाथ से निकल कर माइक आ गया,मुझे पता भी नहीं चला और मैं 1982 में मेलोडी मेकर्स ऑर्केस्ट्रा से जुड़ गया।

वर्ष 1979 से मैंने गाना शुरू कर दिया था और वर्ष 1982 में मेलोडी मेकर्स आर्केस्ट्रा में मेरे गाने की शुरुआत हुई। यह वही आर्केस्ट्रा था,जिसे किशोर दा अपने हर स्टेज शो में साथ ले जाते थे। इस आर्केस्ट्रा के बारे में आशा जी को किशोर दा ने बताया था,तो वह हमारा एक स्टेज शो देखने के लिए आई थी, ताकि वह अपने स्टेज शो में इस आर्केस्ट्रा को जोड़ सके।उन्हें आर्केस्ट्रा बहुत पसंद आया। जाते वक्त उन्होंने मेरे बारे में पूछा और मुझे मिलने को बुलाया। एक हफ्ते बाद उनके स्टूडियो में मेरी मुलाकात हुई।उन्होंने मुझे बोला कि तुमने उस दिन स्टेज पर सचिन दा की आवाज बहुत ही अच्छी निकाली थी। उन्होंने मुझे कहा कि तुम वापस मुझे सुनाओ। फिल्म अमर प्रेम में जो सचिन दा ने गाया है,डोली में बिठा के कहार। मैंने आंखें बंद कर यह गाना गाया था क्योंकि मैं बहुत डरा हुआ था।मैंने जैसे ही आंखें खोली मैंने देखा कि आशा जी के दोनों आंखों से आंसू बह रहे हैं।उन्होंने यह गाना फिर मुझसे रिकॉर्ड करवाया और पंचम दा को सुनाया।आशा जी ने बताया कि जब उन्होंने वह रिकॉर्डिंग अपने घर पर प्ले किया था,तो उसे वक्त पंचम दा नहा रहे थे।वह आधे मैं ही टावल लपेटकर बाहर आ गए और कहा कि यह तो बाबा की आवाज है।आशा जी ने उन्हें बताया कि नहीं यह नया लड़का है।उन्हें मेरी आवाज इतनी पसंद आयी कि 1989 में हांगकांग में पंचम नाइट हुआ था।वहां पर मुझे पंचम दा लेकर गए थे और मुझे स्टेज पर यह कह कर इंट्रोड्यूस किया था कि अभी जो लड़का आ रहा है, वह मेरी बाप की आवाज में गाता है। सुनो।यह मेरा टर्निंग पॉइंट था। उसके बाद पंचम दा ने मुझे प्लेबैक सिंगिंग से भी जोड़ दिया। इसके बाद मैने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

भोसले सरनेम होने की वजह से बहुत साल तक तो लोगों को लगता था कि मैं आशा भोंसले का ही बेटा हूं।वह भी गोवा से है और मैं भी गोवा से हूं। वह मुझे 86 में मिली थी,तब से आज तक वह मुझे अपने बेटे की तरह ही मानती है।आज भी वह हर दूसरे तीसरे महीने समय निकालकर मेरे घर पर आती है और मेरे ,मेरी पत्नी और मेरे बच्चों के साथ समय बिताती है। कभी भी फोन करती है और पूछती है कि सुदेश काय करतो.. मैं आ रही हूं। वह बहुत अच्छी कुक हैं।यह बात तो सभी जानते हैं। स्टेज शो के लिए हमारा जब भी रिहर्सल होता है,तो उनके घर पर ही होता है।मैं हमेशा कहता हूं कि मैं डेढ़ बजे आऊंगा ताकि लंच में उनके हाथों का बना लजीज खाना खाऊं।आपको यकीन नहीं होगा न ,खाना बनाने के साथ-साथ वे म्यूजिक रिहर्सल में भी हिस्सा ले लेती हैं।एक अंतरा गाया और जब तक मैं अपना हिस्सा गा रहा हूं,तबतक वह किचन में जाकर गैस पर रखा कीमा कलछी से हिला कर आ जाती हैं। उनके हाथ की बनी हुई की कीमा, फिश और मिठाई जमकर खाई है। एक बच्चे की तरह मुझे डांट भी लगाती हैं। अरे पैसे के पीछे इतना क्यों पड़ा है,थोड़ी आवाज को बचा ले।इतना स्टेज शो क्यों करता है। मेरी तरह 90 साल का होने तक तुझे गाना है कि नहीं।

70 – 80 के दशक के संगीत के जितने लीजेंड लोग थे, सभी लोगों ने मुझे बहुत आशीर्वाद और प्यार दिया है।किशोर दा के सामने मैंने उनकी आवाज में गाना गाया था और उन्होंने कहा था कि सुदेश तू बहुत अच्छा गाता है रे।लता जी ने मेरे बारे में कहा था कि जब सुदेश भोंसले मेरे साथ है तो मुझे किसी नए सिंगर की जरूरत नहीं पड़ती है।यह मुकेश भी बन जाता है,किशोर भी, रफी भी।मन्ना डे और अमिताभ बच्चन भी बन जाता है ये।आशा जी ने 1986 से अब तक जितने भी स्टेज शो किया उसमें मैं जरूर रहता हूं।उनका कहना होता है कि सुदेश में तेरे साथ ही कंफर्टेबल होती हूं।एक बार मैं एक स्टेज शो कर रहा था और मैंने सचिन दा का गीत, सुन मेरे बंधु गाया था।उस शो में महमूद साहब भी थे।बैकस्टेज आए और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा कि जब तुम यह गीत गा रहे थे, तो मुझे लगा जैसे तुम्हारा भगवान के साथ कनेक्शन हो गया है।अमित जी ने भी कई बार यह बात कही है कि मुझे समझ में नहीं आता है कि मैं गा रहा हूं कि तुम गा रहे हो।मुझे लगता है कि मेरे लिए यह सब ऑस्कर से भी बड़ा सम्मान है।मुझे अभी भी कई एक्टर्स के फोन आते हैं कि सुदेश हम 1 महीने के लिए बाहर जा रहे हैं,शूटिंग में एक रील बची है, तुम उसकी डबिंग कर देना।अनिल कपूर, अनुपम खेर जैसे लोगों को मुझ पर भरोसा है। बच्चन साहब भी कई बार बोल देते हैं कि हिंदी में मैं कर देता हूं,बाकी की लैंग्वेज में सुदेश से करवा लेना।यही तो अचीवमेंट है।गुरु जिनको माना वही तारीफ कर दे तो एक कलाकार को और क्या चाहिए।

अपने प्लेबैक सिंगिंग के कैरियर में मैंने अनिल कपूर,गोविंदा, मिथुन दा, राजकुमार सभी के लिए गाना गाए हैं, लेकिन जिस गाने ने मुझे नाम और फेम दिया था।वह था जुम्मा चुम्मा।वैसे ये अजीब इत्तेफाक रहा है कि मेरे सबसे ज्यादा हिट गाना बच्चन साहब के लिए रहा है। सोना सोना, मेरी मखना, कोई हमें प्यार करें कोई जान निसार करे।बच्चन साहब ने बताया था कि जया जी ने तो एक साल तक माना ही नहीं था कि जुम्मा चुम्मा गाना उन्होंने नहीं बल्कि मैंने गाया है।युवा पीढ़ी को पता ही नहीं कि सावा सावा मेरा गाया हुआ गाना है। इसके अलावा जो मेरे हिट गाने हैं वह लाल दुपट्टे वाली,बच के तू रहना, पी ले पी ले, इमली का बूटा, अनुपम खेर की आवाज में लड़कियों से ना मिलो भी मेरा ही था।वैसे मैं सितारों की आवाज को इस कदर मैच कर लेता हूं कि लगता ही नहीं है कि यह किसी दूसरे की आवाज है।

सुदेश भोंसले ने बताया कि मेरी जिंदगी की प्रेरणा श्रोत दो एबी रहे हैं।एक अमिताभ बच्चन और दूसरी आशा भोंसले , जिन्होंने मुझे कभी हार मानना नहीं सिखाया। मैं हालातों से लड़ते हुए आज भी टिका हुआ हूं।मेरे फैंस देश और विदेश में हैं।मैं बताना चाहूंगा कि मैं पिछले 30 साल में जितना काम नहीं कर पाया था, उससे ज्यादा स्टेज शो और रिकॉर्डिंग मैंने पिछले 15 साल में किया है।

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