अखिलेश अखिल
यूपी में वैसे तो कई हॉट सीट है लेकिन अभी सबसे ज्यादा हॉट सीट रायबरेली की हो गई है। इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है और यहाँ से लगातार सोनिया गाँधी चुनाव जीतते रही है। लेकिन इस बार सोनिया गाँधी यहाँ से चुनाव नहीं लड़ रही है। अब कांग्रेस की तरफ से हलाकि अभी तक किसी भी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है लेकिन सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गाँधी यहाँ से उम्मीदवार हो सकती है। उधर बीजेपी भी इस सीट को लेकर कुछ ज्यादा ही संजीदा है।
रायबरेली में क्या होगा ? यहाँ से कौन चुनाव लड़ेगा और फिर किसकी जीत होगी इसको लेकर रायबरेली में चर्चा आम है। जिधर देखों उधर ही रायबरेली के गुना भाग पर हिसाब लगाते लोग मिल जायेंगे। कोई गाँधी परिवार के प्रति भक्ति में डूबा है तो कोई बदलाव की बात भी करता नजर आता है। हालांकि कमल की यहाँ अभी भी कोई बड़ी जमीन नहीं है लेकिन कमल की पहुँच जरूर है। जो लोग सोनिया गांधी की अनुपस्थिति से नाराज है वे अब पाला बदलने को भी तैयार हैं। लेकिन कितने लोग पाला बदल सकेंगे यह कोई नहीं जानता। बीजेपी यहाँ से हर चुनाव में उम्मीदवार जरूर उतरती है लेकिन अभी तक उसे जीत हासिल नहीं हुई है। लेकिन इस बार बीजेपी भी व्यूहरचना करती नजर आ रही है।
सोनिया गाँधी अब चुनाव नहीं लड़ रही है। वह राजस्थान से राज्यसभा में जा चुकी है। कांग्रेस ने अभी तक यहाँ से उम्मेद्वार की घोषणा नहीं की है लेकिन प्रियंका गाँधी की तस्वीर रायबरेली में लग गई है। प्रियंका के समर्थन में नारे भी लग रहे हैं और सोनिया गाँधी के साथ प्रियंका की तस्वीर को हर लोग साथ लिए घूम भी रहे हैं।
यह पहला मौका है, जब नामांकन प्रक्रिया शुरू होने में चंद दिन शेष हैं और राजनीति की रंगत फीकी है। प्रत्याशी तक तय नहीं हैं। इसके लिए न भाजपा आगे आ रही है और न ही कांग्रेस। राजनीतिक पहलू यह है कि दोनों दल हर हाल में यहां चुनाव जीतना चाहते हैं। भाजपा जीती तो पूरे देश में संदेश जाएगा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपने दूसरे मजबूत गढ़ को भी नहीं बचा पाई। वहीं, भाजपा के लिए भी विडंबना है। हारने पर दो कार्यकाल के रिपोर्ट कार्ड पर सवाल उठेगा।
राजनीतिक मंचों से ताना भी दिया जाएगा कि सोनिया के मैदान से हटने के बाद भी पार्टी रणनीतिक रूप से विफल रही।
सियासी दांवपेच से दोनों दलों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता ही नहीं, वोटर भी असमंजस में हैं। सवाल साफ है…आखिर रायबरेली से चुनाव लड़ेगा कौन? सत्ता के रण में एक तरफ पंजे की चाल है दो दूसरी तरफ कमल का चक्रव्यूह। इसमें कौन किसे मात देगा…यह कहना मुनासिब नहीं है, लेकिन मौजूं जरूर है।
रायबरेली संसदीय सीट से प्रदेश के राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह, पूर्व मंत्री एवं ऊंचाहार विधायक डॉ. मनोज कुमार पांडेय समेत कई ऐसे दावेदार हैं, जिनके चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज हैं। इन सबके बीच भाजपा हाईकमान को इस बात की भी चिंता है कि कहीं स्थानीय प्रत्याशी के चुनाव मैदान में उतारने से पार्टी के अंदर खींचतान न मच जाए।
भाजपा ऐसे उम्मीदवार की तलाश कर रही है, जो चुनाव भी जीत सके और उसके मैदान में उतरने के बाद पार्टी में किसी तरह की खींचतान भी न हो। वर्ष 2023 में हुए निकाय चुनाव में आपसी खींचतान की वजह से ही नगर पालिका परिषद रायबरेली की सीट हाथ से निकल गई थी। कमजोर समझी जाने वाली कांग्रेस उम्मीदवार ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल कर ली। आपसी खींचतान की काट के लिए ही भाजपा बाहरी पर दांव लगा सकती है।
मां की विरासत कौन संभालेगा, यह अभी तय तो नहीं हो पाया है। लेकिन यहां से प्रियंका गांधी के ही चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है। कांग्रेस हाईकमान चाहता है कि प्रियंका को रायबरेली से चुनाव लड़ाया जाए, ताकि देश और प्रदेश में इस बात का संदेश जाए कि गांधी परिवार अपने गढ़ को अपना परिवार समझता है।
दरअसल, विपक्षी दल भाजपा इस मुद्दे को अक्सर उठाती रही है कि गांधी परिवार रायबरेली का इस्तेमाल सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने के लिए करता है। उसे यहां की जनता की कोई फिक्र नहीं है। रायबरेली में जितना विकास होना चाहिए था, गांधी परिवार उतना विकास नहीं करा पाया। पार्टी सूत्र बताते हैं कि प्रियंका ही रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी।