अखिलेश अखिल
आगामी लोकसभा चुनाव किसी के लिए आसान अब नहीं रहा। मौजूदा बीजेपी भले ही दावा जो भी करे और चुनावी जीत के लिए चाहे जो भी खेल करे लेकिन आगामी चुनाव को लेकर विपक्ष और विपक्ष के भीतर का विपक्ष जो खेल करता दिख रहा है उससे बीजेपी की परेशानी भी बढ़ती जा रही है। रविवार को महाराष्ट्र के नांदेड़ में केसीआर की पार्टी बीआरएस की रैली ने साफ़ कर दिया है कि वह बीजेपी के खिलाफ तो है ही उसके रडार पर कांग्रेस भी है। वह कांग्रेस और बीजेपी के बीच कोई अंतर नहीं कर रही। उसकी लड़ाई बीजेपी से भी है और कांग्रेस से भी। महाराष्ट्र में महाअघाड़ी की एकता है। कल इस एकता का क्या होगा कोई नहीं जानता। अगर इस एकता में केसीआर को दरार डालते हैं तो खेल कुछ और भी हो सकता है। शरद पवार भी सकते में हैं और उद्धव भी बहुत कुछ सोचने लगे हैं। कांग्रेस की बात अभी नहीं ही की जा सकती है।
नांदेड़ में केसीआर की यह पहली रैली थी। रविवार को बड़ी संख्या में किसान इस रैली में पहुंचे और केसीआर के जयकारे भी लगाए। केसीआर गदगद हुए। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि महाराष्ट्र की जनता उन्हें सुनने आएगी और साथ देगी। लेकिन ऐसा हुआ। सबसे बड़ी बात तो यह रही कि इस रैली में केसीआर के साथ कई और नेता भी शामिल हुए। कई पार्टियों के नेता थे। सवाल बहुत होने लगे हैं। आगे भी सवाल होंगे। जानकार अब यही कह रहे हैं कि केसीआर की लड़ाई अब आगे तक जाएगी। वही विपक्ष की धुरी होंगे। लेकिन क्या पवार ,उद्धव जैसे लोग भी कुछ ऐसा ही चाहते हैं ? यह सवाल सबको कुरेद रहा है।
महाराष्ट्र में अपनी पार्टी की रैली को संबोधित करते हुए केसीआर ने कहा कि वे चाहते हैं कि उनकी पार्टी यहां भी चुनाव लड़े। रैली को संबोधित करते हुए केसीआर ने कहा- आजादी के 75 साल बाद भी आज किसानों की क्या हालत है ये किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में समय आ गया है कि अब किसान भी आगे आकर राष्ट्र की बागडोर संभालें। उन्होंने आगे कहा- यही वजह है कि हमारी पार्टी का नारा है ‘अबकी बार किसान सरकार’।
केसीआर की अपील निराला है। देश के किसान मौजूदा सरकार से काफी नाराज हैं। किसान फिर से आंदोलन करने की तैयारी में हैं। ऐसे में केसीआर की किसान सरकार बनाने की अपील बहुत कुछ इशारा कर रही है। पवार भी किसानो की सरकार चाहते हैं। कांग्रेस भी कुछ ऐसी ही सरकार चाहते हैं और उद्धव भी यही चाहते हैं। ऐसे में क्या किसानो को लेकर सभी दल एकजुट होंगे ? सपा ,बसपा से लेकर सबकी चाहत किसानो की सफलता ही तो है।
विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के प्रयास में लगे केसीआर ने नांदेड़ की रैली में कहा- अगर हम एकजुट हो जाएं तो ये असंभव नहीं है। हमारे देश में अगर सिर्फ किसानों की बात करें तो उनकी संख्या कुल आबादी का 42 फीसदी है। इसमे अगर खेतिहर मजदूरों को जोड़ दिया जाए तो ये सख्या 50 फीसदी से ज्यादा है। और ये संख्या सरकार बनाने के लिए काफी है। उन्होंने कहा- अब समय आ गया है कि किसानों को भी इस काबिल बनाया जाए कि वो भी नियम बना सकें।
लेकिन यह सब तो ठीक है। असली मुद्दा बीजेपी के खिलाफ के साथ ही कांग्रेस का खिलाफ भी तो है। ऐसे में क्या गणित बनेंगे यही सबसे बड़ा यक्ष सवाल है। कांग्रेस भी केसीआर के खिलाफ हैं। तेलंगाना में कांग्रेस की लड़ाई केसीआर से ही है। तेलंगाना के लोग बड़ी संख्या में इधर कांग्रेस के साथ जुड़े हैं लेकिन कांग्रेस अभी इस हालत में नहीं है कि केसीआर को चुनौती दे सके। लेकिन लड़ाई तो होगी। इधर माना जा रहा है कि केसीआर की कांग्रेस विरोधी लड़ाई इसी तरह से आगे बढ़ती रही तो संभव है कि देश की कुछ पार्टियां यूपीए के साथ रहकर सिमट सकती है और एक बड़ा धड़ा कांग्रेस से अलग होकर तीसरे मोर्चे की शक्ल में सामने आ सकता है। लेकिन इस धड़े की अगुवाई भी कौन करेगा कहना मुश्किल है। लेकिन इतना तय है कि बीजेपी और कांग्रेस के अलावा तीसरा मोर्चा बनकर ही रहेगा।