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यूएनडीपी की रिपोर्ट – दस फीसदी अमीर के पास देश की आधी संपत्ति ,असमानता की बढ़ी खाई !

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दिल्ली डेस्क

यूएनडीपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इंडिया हाई इनकम वाले देशों में तो शुमार हो गया है लेकिन पहले की तुलना में आय और संपत्ति की असमानता में गहरी खाई भी सामने आई है। देश में गरीबो की संख्या घट कर 25 फीसदी से 15 फीसदी पर आ गई है लेकिन अभी जो हालत है वे काफी गंभीर भी है। क्योंकि देश की आधी आय  और संपत्ति पर दस फीसदी अमीरों का ही कब्ज़ा है। भारत में आज भी 18 करोड़ लोग गरीबी में जीने को अभिशप्त हैं। भारत के लिए यह बड़ी चुनौती है।
     बता दें कि 2024 एशिया-पैसेफिक ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट में लंबी अवधि में विकास को लोकर सकारात्मक तस्वीर पेश की गई है पर इसके साथ ही इनकम और संपत्ति के मामले में बढ़ती असामनता को लेकर चिंता जाहिर की गई है। और इस दिशा में ठोस कदम उठाये जाने की वकालत की गई है। 2000 से लेकर 2022 के दौरान भारत में प्रति व्यक्ति आय 442 डॉलर से बढ़कर 2389 डॉलर पर जा पहुंचा है। वहीं 2004 से 2019 के बीच गरीबी रेखा 40 फीसदी से घटकर 10 फीसदी पर आ गई है।
       रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 से लेकर 2019-21 के बीच बहुआयामी गरीबी के नीचे रहने वाली आबादी 25 फीसदी से घटकर 15 फीसदी पर आ गई है। लेकिन इस सफलता के बावजूद ऐसे राज्यों में अभी भी गरीबी बहुत ज्यादा है जहां देश की आबादी की 45 फीसदी जनसंख्या रहती है पर इन राज्यों में कुल 62 फीसदी गरीब रहते हैं।  यूएनडीपी के रिपोर्ट के मुताबिक बहुत सारे व्यक्ति ऐसे हैं जो ठीक गरीबी रेखा के ऊपर हैं। ऐसे लोगों के फिर से गरीबी रेखा के नीचे जाने का खतरा बना हुआ है, जिसमें महिलाएं, असंगठित क्षेत्र के मजदूर, इंटर-स्टेट माइग्रेट्स शामिल हैं।
        रिपोर्ट के मुताबिक कुल लेबर फोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 23 फीसदी है. विकास की रफ्तार तेज रहने के बावजूद आर्थिक असमानता बढ़ी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2000 के बाद से आय में असामनता के पर्याप्त सबूत उपलब्ध है। रिपोर्ट के मुताबिक 12 से 120 अमेरिकी डॉलर प्रति दिन कमाने वाले मध्यम वर्ग का आबादी भारत में बहुत बढ़ी है और भारत इसमें बड़ा योगदान दे रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल मिडिल-क्लास ग्रोथ में 24 फीसदी योगदान भारत का रहने वाला है जो कि 19.2 करोड़ जनसंख्या के बराबर है। रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वर्ष के दौरान वैश्विक इकोनॉमिक ग्रोथ में दो तिहाई एशिया-पैसेफिक क्षेत्र का योगदान रहने वाला है। पर दक्षिण एशिया में कोरोना महामारी के चलते लगे आर्थिक झटकों के कारण आय और संपत्ति में असामनता बढ़ने वाली है।

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