केरल में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी और दूसरों का वोट भी बीजेपी को ट्रांसफर होने के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है।शीर्ष अदालत ने आयोग से कहा है कि वह इन शिकायतों पर संज्ञान लें। अर्जियां में आरोप लगाया गया था कि केरल के कासरगोड में हुए मॉक पोलिंग के दौरान ऐसा हुआ था कि हर वोट बीजेपी को ही जा रहा था। इस केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना ने आयोग के वकील से कहा कि वह इस पर संज्ञान लें।
ईवीएम और वीवीपीएटी वेरिफिकेशन में तालमेल नहीं दिखा
वीवीपीएटी को लेकर दाखिल अर्जी पर बेंच ने कहा कि केरल के कासरगोड में मॉक पोलिंग हुई थी। 4 ईवीएम और वीवीपीएटी में बीजेपी का एक अतिरिक्त वोट मिला था। मनोरमा में यह रिपोर्ट मिली थी। इस पर बेंच ने चुनाव आयोग के वकील महेंद्र सिंह से कहा कि आप इसका संज्ञान लें और एक बार चेक कर लें।दरअसल अदालत में ऐसी कई अर्जियां दाखिल की गई है, जिसमें मांग की गई है कि ईवीएम से पड़ने वाले सारे मतों का वीवीपीएटी स्लिप से वेरिफिकेशन किया जाए। इस मामले को लेकर मंगलवार को लंबी और दिलचस्प हुई थी।
प्रशांत भूषण ने बीवीपीएटी की सारी स्लिपों की गिनती करने की की थी मांग
यही नहीं वकील प्रशांत भूषण ने बीवीपीएटी की सारी स्लिपों की गिनती करने की मांग की थी। इस पर अदालत ने कहा था कि आखिर भारत जैसे देश में यह कैसे संभव है। इसपर प्रशांत भूषण ने जर्मनी जैसे देश का उदाहरण देते हुए कहा था कि वहां बैलेट से ही चुनाव हो रहा है। इस पर जज ने कहा था कि वहां सिर्फ 6 करोड़ ही नागरिक हैं।इतने नागरिक तो मेरे गृह राज्य की ही है। यही नहीं ईवीएम की जगह बैलट पेपर को लेकर बेंच का यह भी कहना था कि हम उस दौर को भी देख चुके हैं,जब बैलेट से चुनाव होता था। उनका कहना था कि मशीन सही रिजल्ट देता है,बशर्ते उसमें कोई मानवीय दखल न दिया जाए।