विकास कुमार
सहारा समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय का 75 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से कैंसर सहित कई शारीरिक समस्याओं से पीड़ित थे। हालत बिगड़ने पर उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था,लेकिन मंगलवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।
सुब्रत राय की जिंदगी की कहानी में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई है तो पतन की अथाह गहराई भी है। आप सुब्रत राय जैसी हस्ती की चर्चा चाहे जिस रूप में भी करें,लेकिन ये जरुर है कि उनकी चर्चा किए बिना आपकी अपनी कहानी भी अधूरी रह जाएगी। सुब्रत रॉय ने अपने करियर की शुरुआत गोरखपुर में नमकीन-स्नैक्स बेचने से की थी। वह अपने लैंब्रेटा स्कूटर पर जया प्रोडक्ट नाम का नमकीन बेचा करते थे। इसके बाद 1978 में उन्होंने गोरखपुर में एक छोटे से ऑफिस में सहारा समूह की नींव रखी।
सुब्रत रॉय ने 1978 में मात्र दो हजार रुपए से बिजनेस शुरू किया था,कुछ ही समय में वह नई ऊंचाई पर पहुंच गए। सहारा ग्रुप की वेबसाइट के मुताबिक उसके पास 9 करोड़ निवेशक और ग्राहक हैं। कंपनी का दावा है कि उनकी कुल संपत्ति दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है।इसके अलावा सहारा ग्रुप के पास पांच हज़ार कैंपस और 30 हजार 970 एकड़ जमीन है। सुब्रत रॉय ने अपने साथ उन लाखों ग़रीब और ग्रामीण भारतीयों को जोड़ा, जिनके पास बैंकिंग की सुविधा नहीं थी,और इन्हीं के सहारे सहारा ग्रुप खड़ा किया,लेकिन सेबी ने जब उनके ख़िलाफ़ कदम उठाए तो उनका साम्राज्य हिलने लगा।
सुब्रत राय ने सफलता की कहानी तो लिखी,लेकिन कारोबार में असफलता से वे पीछा नहीं छुड़ा सके। सुब्रत रॉय को 10 हजार करोड़ रुपए की बकाया राशि न चुकाने पर 4 मार्च 2014 को जेल जाना पड़ा। अदालत ने तब कहा था कि जब तक वे पांच हज़ार करोड़ रुपए नकद और पांच हज़ार करोड़ रुपए की बैंक गारंटी नहीं देंगे, तब तक उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा। 2013 में सहारा ग्रुप ने सेबी ऑफिस को एक सौ 27 ट्रक भेजे थे,जिसमें तीन करोड़ से ज्यादा आवेदन फॉर्म और दो करोड़ रिडेम्पशन वाउचर शामिल थे,उन्हें दो साल से ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा और 2016 में वे पैरोल पर बाहर आए। प्रॉपर्टी के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फिर से जेल भेज दिया था। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अगर सुब्रत, नवंबर 2020 में 62 हज़ार छह सौ करोड़ रुपए का भुगतान नहीं करते हैं तो उनकी पैरोल रद्द कर दी जाए।
सहारा ग्रुप के फाउंडर सुब्रत राय अपने पीछे तड़पते और रोते हुए करोड़ों निवेशक छोड़ कर इस दुनिया से चले गए हैं,अब सरकार और सहारा ग्रुप की जिम्मेदारी बनती है कि अपने निवेशकों को पैसा लौटाएं। शायद इसी कदम से सहारा श्री सुब्रत रॉय की सफलता की कहानी पूरी हो पाएगी।