न्यूज़ डेस्क
सुब्रमण्यम स्वामी ने बड़ी बात कही है। बीजेपी के इस नेता ने जो बाते कही है उससे तो साफ़ हो गया है कि अडानी को लेकर वे भी काफी परेशान हैं और उन्हें लग रहा है कि अडानी मोदी सरकार को भी बदनाम कर सकते हैं। पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में स्वामी ने साफ़ तौर पर कहा है कि मोदी सरकार की सम्पत्तियों का राष्ट्रीकरण कर देना चाहिए। जब पूछा गया कि आखिर बीजेपी ने अडानी समूह के मुद्दे को संभाल रखा है जबकि विपक्ष कार्रवाई की मांग कर रहा है ,इसके जबाब में स्वामी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि प्रधानमंत्री, अडाणी समूह की सभी संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण करें और फिर इसे बिक्री के लिए नीलाम करें और उस पैसे से उन लोगों की मदद करें जिन्होंने रकम गंवाई हैं। क्या कांग्रेस ने अडाणी से कभी कोई डील ही नहीं की। मैं उनमें से कई लोगों को जानता हूं, जिनके अडाणी के साथ बहुत सारे सौदे थे, लेकिन मुझे कांग्रेस की परवाह नहीं है। मैं चाहता हूं कि भाजपा की पवित्रता स्थापित हो। आम जनता की राय है कि (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी कुछ छिपा रहे हैं और अब उसे दंडित करना सरकार का काम है।
विक्टोरिया गौरी की जज के रूप में नियुक्ति से जुड़े सवाल पर स्वामी ने कहा कि लोकतंत्र में कोई किसी को भी चुनौती दे सकता है। एक व्यक्ति के रूप में, आरएसएस के सदस्य के रूप में, भाजपा के सदस्य के रूप में उन्होंने जो कहा, उसका आकलन तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि वह जज नहीं बन जातीं और फिर उसी तरह का व्यवहार नहीं करतीं। दूसरी बात, जैसा कि मुख्य न्यायाधीश ने सही कहा है, वह इस समय एक अतिरिक्त न्यायाधीश हैं। दो साल बाद एक समीक्षा की जाएगी…इसलिए उन्हें कानून के मुताबिक काम करना होगा।
हमारे और भी जज हैं जिनका मैं नाम नहीं लेना चाहता, हमने उन्हें जज बनाया है और जज बनने से पहले वे “कट्टर मुसलमान” रहे हैं। इसलिए, मुझे लगता है कि यह आरोप-प्रत्यारोप इसलिए हो रहा है क्योंकि वे लोग एक विचारधारा से प्रेरित हैं। आपने उस समय उन पर मुकदमा क्यों नहीं चलाया? जब उन्होंने ये विचार व्यक्त किए। आप आसानी से ऐसा कर सकते थे। कोई जनहित याचिका दायर कर सकता था, जैसा मैं हमेशा करता हूं। जाइए और चाहते हैं तो उसके खिलाफ मामला दर्ज करा दीजिए। यह भारत सरकार द्वारा किया गया चयन है और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा समर्थित है। इसलिए, मुझे लगता है कि यह उसके खिलाफ एक फर्जी अभियान है।
स्वामी ने बजट पर भी अपनी राय रखी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह किसी काम का बजट नहीं है। बजट में अनिवार्य रूप से चार स्तंभ होने चाहिए। आपका (सरकार का) उद्देश्य क्या है? इस बजट में कोई उद्देश्य नजर नहीं आया। उन्होंने कहा कि भारत की वृद्धि दर अगले साल साढ़े छह प्रतिशत रहेगी। पिछले साल का क्या हुआ? 2019 से अब तक क्या हुआ, हम प्रतिवर्ष तीन या चार प्रतिशत की दर से बढ़े। यह छह प्रतिशत पर कैसे काम करेगा? प्राथमिकताओं के संबंध में, क्या कृषि प्राथमिकता है? या उद्योग प्राथमिकता है या सेवा प्राथमिकता है? उसके बारे में कुछ नहीं।
स्वामी ने कहा कि आखिर हम संसाधन कहां से लाएंगे? जब चीन आपको धमका रहा है तो उन्होंने रक्षा के लिए संसाधनों में कटौती कर दी है, यह बहुत कम राशि है। हम अपने रक्षा आवंटन में कटौती कर रहे हैं। हमारे पास बहुत सारे आवश्यक क्षेत्र हैं। तो, उन्हें यह करना चाहिए कि हमें बताएं, क्या हुआ।