न्यूज़ डेस्क
भारत भी अब इजरायल की तर्ज पर आयरन डोम बनाने की तैयारी में जुटने जा रहा है ताकि अपनी सीमा को सुरक्षित रखा जा सके। भारत को सबसे ज्यादा खता चीन और पाकिस्तानी सीमा पर है। बता दें कि भारत अपने दो पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को लेकर चिंतित रहता है। यही वजह है कि भारत लगातार अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के अंजाम में लगा रहता है।
पहले रूस और यूक्रेन और अब दो हफ्तों से ज्यादा समय से इजरायल और फिलीस्तीन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर भारत अपनी सीमा को और ज्यादा चाक-चौबंद करना चाहता है। सूत्रों के अनुसार, भारत भी ‘आयरन डोम’ बनाने की योजना में जुट गया है। यह बताया जा रहा है कि देश में वर्ष 2028-29 तक स्वदेशी आयरन डोम स्थापित कर लिए जाएंगे। क्या होता है आयरन डोम और कैसे करता है यह काम?
आयरन डोम की चर्चा इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के बीच शुरू हुई है। यह कहा जा रहा है कि हमास आयरन डोम के चलते ही इजरायल का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है। आयरन डोम आखिर है क्या बला? यह एक बैटरी की श्रृंखला है जिसमें रडार लगे होते हैं। इस रडार की मदद से शॉर्ट रेंज रॉकेट का पता लगाकर उसे खत्म कर दिया जाता है।
अमेरिकी डिफेंस कंपनी का कहना है कि हर बैटरी में तीन या चार लॉन्चर, 20 मिसाइल और एक रडार शामिल होता है। रडार रॉकेट का पता लगाता है और उसके बाद आयरन डोम का सिस्टम यह जानकारी उपलब्ध कराता है कि रॉकेट किस ओर बढ़ रहा है? अगर रॉकेट आबादी वाली दिशा में अग्रसर होता है तो उसे मिसाइल लॉन्च करके तबाह कर दिया जाता है।
हाल ही भारतीय वायुसेना में रूस के एस -400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम को शामिल किया गया है। इसकी तुलना भारत के देशी ‘आयरन डोम’ से की जा सकेगी। भारतीय वायुसेना को उम्मीद है कि दो एस -400 और स्क्वाड्रंस आगामी एक साल में सेना में शामिल कर लिए जाएंगे। इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते देरी हो रही है। इसे भारत के उत्तर पश्चिम और पूर्व में चीन और पाकिस्तान का मुकाबला करने के लिए तैनात किया है। खबर है कि एलआर -एसएएम भारतीय वायुसेना के इंटीग्रेटेड एयर कमांड और कंट्रोल सिस्टम के साथ मिलकर काम करेगा। हालांकि, भारतीय सेना ने आयरन डोम को लेकर अभी तक कोई बात सार्वजनिक तौर पर नहीं कही है।
चीन और पकिस्तान के मंसूबों को भांपकर अब इंडिया भी बनाएगा आयरन डोम !
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