न्यूज़ डेस्क
चुनावी माहौल में पार्टी छोड़ना और पार्टी से जुड़ना राजनीति का एक खेल है। चरित्रहीन राजनीति में यह सब चलता ही रहता है। लेकिन जब कोई ऐसा नेता जो किसी भी पार्टी को स्थापित करे और सत्ता तक उसे पहुंचा दे और फिर सर्कार और सत्ता की नाकामियों को गिनाने लगे तो आप कहेंगे ? मध्यप्रदेश में कुछ यही सब देखने को मिल रहे हैं। मध्यप्रदेश में बीजेपी की सत्ता को स्थापित करने में अहम् भूमिका निभाने वाली साध्वी उमा भारती इनदिनों शिवराज सरकार से बेहद खफा है। कई लोग यह भी कह रहे हैं कि साध्वी उमा भारती शीर्ष नेतृत्व से ही नाराज है। ऐसा हो भी सकता है।
लेकिन खबर तो यह है कि चुनाव के समय ही साध्वी ने हिमालय यात्रा की शुरुआत कर दी। यह बीजेपी के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। साल 2003 में बीजेपी को प्रदेश की सत्ता तक पहुंचाने वाली तेज तर्रार नेता उमा भारती ने पार्टी के चुनाव प्रचार से दूरी बना ली है। उन्होंने शुक्रवार को हिमालय के लिए निकलने का ऐलान किया है, जहां वह अधूरे कामों को लेकर आत्मचिंतन करेंगी। इसका ऐलान करते हुए उन्होंने शिवराज सरकार की नाकामियां भी गिनाईं।
उमा भारती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि वह गुरुवार को अपने जन्मस्थान ग्राम इंडा, जिला टीकमगढ़ के लिए निकल रही हैं। चतुर्दशी तक वह अपने मातृ कुल एवं पितृ कुल की कुल देवियों को प्रणाम करेंगी। फिर ओरछा में रामराजा सरकार को माथा टेक कर हिमालय के लिए निकल जाएंगी। उन्होंने कहा कि लोगों के जिन सपनों को पूरा करने के लिए हमने कांग्रेस को 20 साल पहले हटाया था, वह सपने कितने पूरे हुए उस पर मैं हिमालय में बद्री-केदार के दर्शन करते समय आत्मचिंतन करूंगी।
उमा भारती ने पोस्ट में लिखा कि इस साल में शिवराज जी ने एक आदर्श शराब नीति लाकर अभिनंदनीय कार्य किया। इन साढे तीन वर्षों के शिवराज जी के कार्यकाल में कई जनकल्याणकारी कार्यों की भी शुरुआत हुई। हमारी पार्टी के लगभग सभी उम्मीदवार घोषित हो गए, अभी मध्य प्रदेश में हमारी पार्टी का घोषणा पत्र आना बाकी है जिसके आधार पर हमारी पार्टी जनादेश मांगेगी। मैं पूरी मेहनत करूंगी और भगवान से प्रार्थना भी करती हूं कि हमारी सरकार बने और मेरी और हम सबकी अधूरी रह गई आकांक्षाओं को पूरा करे।
इसके बाद उमा भारती ने शिवराज सरकार की नाकामियां गिनाते हुए कहा कि केन-बेतवा रिवर लिंक जो लगभग 2017 से शिलान्यास के लिए तैयार है। गौ संवर्धन, गौ रक्षण के उपाय संतोषजनक स्थिति तक नहीं पहुंच पाए। पंच – ज अभियान संपूर्णता से नहीं हुआ, टुकड़ों में हुआ। धार भोजशाला की सरस्वती माई राज्य और केंद्र में हमारी सरकार होते हुए भी अपनी गद्दी पर वापस नहीं लौट सकीं। रायसेन के सोमेश्वर एवं विदिशा की विजया देवी के मंदिर के पट नहीं खुल सके जबकि हमारे केंद्रीय नेतृत्व के एक महत्वपूर्ण पदाधिकारी ने मुझे इसका आश्वासन दिया था।
आखिर में उमा भारती ने कहा कि अंत में मैं इस निष्कर्ष पर पहुंची हूं कि 2003 से अभी तक डेढ़ साल को छोड़कर हमारी ही सरकार रही। लोगों के जिन सपनों को पूरा करने के लिए हमने कांग्रेस को 20 साल पहले ध्वस्त किया था, वह सपने कितने पूरे हुए उस पर अभी और आत्म चिंतन मैं अभी कुछ दिन हिमालय में बद्री–केदार के दर्शन करते समय करूंगी।