पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान सख्त रुख अपनाया और पतंजलि द्वारा दायर माफी के हलफनामे को स्वीकार करने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे को अस्वीकार करते हुए कहा कि कोर्ट इतनी उदारता नहीं दिखा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की है। कोर्ट ने माफीनामे को अस्वीकार करते हुए कहा कि यह सिर्फ कागजी कार्रवाई है, इसलिए वे इसे स्वीकार नहींं कर सकते हैं।
उत्तराखंड लाइसेसिंग ऑथॉरिटी ने दाखिल किया शपथपत्र
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड लाइसेसिंग ऑथॉरिटी ने एक शपथपत्र दाखिल किया है, जिसमें यह बताया है कि भ्रामक विज्ञापन मामले में उसने पंतजलि के खिलाफ क्या कार्रवाई की।शपथपत्र को सुप्रीम कोर्ट ने मात्र खानापूर्ति बताया और कहा कि यह सिर्फ फाइल जमा करने जैसा है।सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए उत्तराखंड सरकार को भी फटकार लगाई और कहा कि जब उनके पास सारी जानकारी थी तो उन्होंने पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम जनता में यह संदेश जाना चाहिए कि कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है।
बाबा रामदेव ने कोर्ट में कहा-गलती का अहसास है
सुनवाई के दौरान कोर्ट में मंगलवार को बाबा रामदेव ने कहा था कि उन्हें अपने गलती का अहसास है, इसलिए उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी है।साथ ही बाबा रामदेव ने यह भी कहा था कि वे कोर्ट को आश्वस्त करना चाहते हैं कि भविष्य में इस तरह की गलती दोबारा नहीं होगी। कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा अलग-अलग दायर माफीनामे पर कहा कि यह सिर्फ दिखावा है।माफीनामा कोर्ट के पास आने से पहले मीडिया के पास चला गया।
क्या है मामला
बाबा रामदेव को भ्रामक विज्ञापन मामले में पिछले कुछ दिनों से कोर्ट के सामने माफी मांगनी पड़ रही है।बाबा रामदेव के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दाखिल की है। उनपर आरोप है कि उन्होंने कोरोना काल में एलोपैथ की दवाओं के खिलाफ गलत बयानबाजी की और आयुर्वेद की दवाओं का बढ़ा-चढ़ाकर प्रचार किया।उन्होंने कुछ दवाओं को उस दौरान लाॅन्च भी किया था, जिसके जरिए कोरोना के इलाज का दावा किया गया था।