पतंजलि आयुर्वेद के मुखिया और योग गुरु रामदेव ने जनता से माफी मांगने का प्रस्ताव दिया है।सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव के वकीलों ने यह प्रस्ताव रखा।इसके बाद अदालत ने उन्हें एक सप्ताह का मौका दिया और अगली सुनवाई 23 अप्रैल को तय की गई है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा हम पब्लिक से माफी मांगने के लिए तैयार हैं।हम ऐसा इसलिए करना चाहते हैं,क्योंकि हम दुख व्यक्त करना चाहते हैं कि जो हुआ वह गलत था।उन्होंने कहा कि हमने दावा किया था हमारे पास कोरोना से निपटने की एक वैकल्पिक दवा भी है।
अदालत ने रवैए को लेकर किया प्रश्न
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल जस्टिस हिमा कोहली ने हिंदी में ही बाबा रामदेव से पूछा कि आपने जो किया है, कोर्ट के विरुद्ध किया है, क्या वह सही है ?इसके जवाब में रामदेव ने कहा की जज साहिबा मैं इतना कहना चाहता हूं कि जो भी हमसे भूल हुई है,उसके लिए हम बिना शर्त माफी मांगते हैं। इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि हम आपके रवैया की बात कर रहे हैं।बाबा रामदेव की ओर से प्रेस कांफ्रेंस करके एलोपैथी पर सवाल उठाने पर भी आपत्ति जताई गई।जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि क्या आपको लगा कि आप प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और सबकुछ ठीक ही जायेगा।हमारे देश में सब सभी का प्रयोग करता है, सिर्फ आयुर्वेद का ही नहीं।
कोरोनील दवा के विज्ञापन से जुड़ा सवाल
बेंच ने बाबा रामदेव से कोरोनिल दवा से कोरोना समाप्त होने की विज्ञापन को लेकर पूछा क्या कि इसका आखिरी ऐड कब जारी हुआ था।इस पर जवाब दिया गया कि फरवरी में ही आया था।फिर जजों ने पूछा कि ऐसा क्यों हुआ जबकि आपको पहले ही चेतावनी दी गई थी।इसमें बाबा रामदेव ने कहा कि हमें कानून की उतनी समझ नहीं है।हम आगे से याद रखेंगे और ऐसी गलती नहीं होगी। यही नहीं इस दौरान आचार्य बालकृष्ण ने भी माना कि यह गलती थी। उन्होंने कहा कि कानूनन हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था।इस पर जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि आप किसी दूसरे पर उंगली नहीं उठा सकते।कैसे आप किसी दूसरे को नीचा दिखा सकते हैं।