विकास कुमार
शिवसेना विधायकों की अयोग्यता केस में स्पीकर राहुल नार्वेकर की देरी के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने साफ किया कि वह स्पीकर द्वारा दिए गए कार्यक्रम से संतुष्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को स्पीकर से चर्चा कर संशोधित कार्यक्रम देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने संशोधित शेड्यूल देने के लिए 30 अक्टूबर की तारीख दी है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि विधानसभा अध्यक्ष के पास 30 अक्टूबर को आखिरी मौका है।
सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये को लेकर एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले का भी एक बयान सामने आया है। सुप्रिया सुले ने सुप्रीम कोर्ट का आभारी व्यक्त किया है,उन्होंने कहा कि 30 अक्टूबर को फिर से सुनवाई है,उन्हें पूरा विश्वास है कि न्याय जरूर मिलेगा।
वहीं स्पीकर राहुल नार्वेकर को सुप्रीम कोर्ट से फटकार मिलने के बाद सामना संपादकीय के जरिए हमला किया गया है। सामना में लिखा गया है कि बेईमानों की सरकार बचाना संविधान की रक्षा करना नहीं बल्कि देश के साथ विश्वासघात करने जैसा है। देश को चलाने के लिए मोदी और शाह ने उनके लिए स्वतंत्र पर्सनल लॉ बनाया होगा और नार्वेकर ट्रिब्यूनल इसी लॉ का इस्तेमाल कर रहे हैं। पिछले 9 सालों में संसद की संप्रभुता सिर्फ नाम मात्र के लिए रह गई है। मोदी और शाह जो कहेंगे वही संप्रभुता है।
सुप्रीम कोर्ट के फटकार के बाद स्पीकर राहुल नार्वेकर पर दबाव बढ़ गया है,अब उन्हें शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए। क्योंकि जान बूझकर फैसले में की गई देरी लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।