बीरेंद्र कुमार झा
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों का समझौता नहीं होने की आंच इंडिया गठबंधन पर पड़ने का खतरा पैदा हो गया है।लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बनी विपक्षी दलों के गठबंधन में उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी एसपी के नेता अखिलेश यादव ने कांग्रेस को कह दिया है कि उसे बताना पड़ेगा कि गठबंधन देश स्तर पर है या प्रदेश स्तर पर।और अगर प्रदेश स्तर पर नहीं है तो भविष्य में भी प्रदेश स्तर पर नहीं होगा।मतलब सीधा है कि अगर कांग्रेस एमपी में एसपी को सीट नहीं दे रही है ,तो यूपी में एसपी भी कांग्रेस को सीट के लिए रुला देगी।
विपक्षी गठबंधन इंडिया में सीट शेयरिंग सितंबर तक कर लेने की हुई थी बात
विपक्षी गठबंधन की पटना में 23 जून बेंगलुरु में 17- 28 जुलाई और मुंबई में 31 अगस्त और 1 सितंबर इन तीन बैठकों के बाद लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर जल्दी फैसला की बात हुई थी।अखिलेश ने मुंबई की मीटिंग के अंदर कहा था कि सितंबर तक सीट शेयर तय कर दिए जाएं ताकि कैंडिडेट्स के पास काम करने का समय हो ।गौरतलब है कि गठबंधन की बैठकों के बाद संवाददाता सम्मेलन में अखिलेश बस एक बार पटना में ही बोले ,वह भी 50 सेकंड। बेंगलुरु के पीसी में अखिलेश दिखे भी नहीं और मुंबई में दिखे भी तो बोले नहीं, जबकि सीटों के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है और वहां विपक्षी खेमे के सबसे बड़े खिलाड़ी अखिलेश यादव ही हैं, लेकिन वह चुप रहकर सब सुन रहे हैं।
5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत के अनुमान से कांग्रेस का भाव सातवें आसमान पर
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ,राजस्थान ,तेलंगाना और मिजोरम की विधानसभा चुनाव में ज्यादातर राज्यों में जीत के अनुमान भर से कांग्रेस का भाव सातवें आसमान पर है। यूपी में कांग्रेस कमजोर है, लेकिन उनका रवैया कुछ और है। ऊपर से बड़बोले प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की 80 सीटों पर तैयारी के बयान से चढ़कर अखिलेश कांग्रेस को धमकी देने पर उतर आए हैं कि सीट का जवाब सीट से दिया जाएगा।
5 राज्यों के विधान सभा चुनाव तक कांग्रेस टालना चाहती है सीट शेयरिंग की बात
असल में हैदराबाद में 16- 17 सितंबर को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी हर हाल में सीट शेयरिंग चर्चा को पांच राज्यों के चुनाव तक टालना चाहते हैं। कांग्रेस को लगता है कि एमपी ,राजस्थान,छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में वह जीत जाएगी तो देश भर में उसका माहौल बनेगा और उसकी वापसी के दबाव में यूपी, बिहार और बंगाल के सहयोगी दल उसे ज्यादा लोकसभा सीट दे देंगे।अखिलेश भी इस बात को समझ रहे हैं, इसलिए अब वे कांग्रेस से सख्ती से निपटने के मूड में आ गए हैं। एसपी ने कांग्रेस से एमपी के अलावा राजस्थान में भी सीट मांगी थी,लेकिन जब एमपी में ही सीट नहीं सीट मिला तो राजस्थान में क्या मिलेगा इस समझा जा सकता है।
मध्यप्रदेश में सीट शेयरिंग पर बिगड़ी बात, टीम इंडिया के घटक दलों की एकजुटता करेगी खंडित
मध्य प्रदेश में सीट बंटवारे पर पूर्व सीएम कमलनाथ और अखिलेश यादव के बीच बातचीत के बाद भी बात नहीं बनी। अखिलेश यादव की पार्टी ने 2018 के चुनाव में एक सीट जीती थी और 6 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी।अखिलेश बस इन सात सीटों पर कांग्रेस का समर्थन मांग रहे थे। कांग्रेस ने कैंडिडेट लिस्ट जारी की तो उसमें चार सीट ऐसे थे, जिसे अखिलेश एसपी के लिए मांग रहे थे ।2018 में एसपी ने जो बिजावर सीट जीती थी, वहां भी कांग्रेस ने एसपी के उम्मीदवार के ही एक रिश्तेदार को टिकट दे दिया।जवाब में एसपी ने भी वहां 9 उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिए हैं ,और कह दिया है कि उसकी तैयारी भी 50 सीट तक लड़ने की है।