प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 और 2019 में दो बार वाराणसी से नामांकन का पर्चा भरा और दोनों ही बार यहां से चुनाव जीतने के पश्चात वे भारत के प्रधानमंत्री बने।2014 ईस्वी में नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के अलावा गुजरात के बड़ोदरा से भी नामांकन किया था, लेकिन दोनों ही जगह से चुनाव जीतने के बाद उन्होंने बड़ोदरा की सीट को खाली कर दिया था और वाराणसी से सांसद रहते हुए प्रधानमंत्री बने थे।2919 ईस्वी में उन्होंने सिर्फ वाराणसी से ही नामांकन किया था और जीतने पर भारत के प्रधानमंत्री बने थे ऐसे में तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बनने की लालसा लिए उन्होंने वाराणसी से मंगलवार को अपना नामांकन का पर्चा भर दिया है। पीएम मोदी 2014 ईस्वी में पहली बार वाराणसी से चुनाव लड़े और फिर गुजरात का बड़ोदरा को छोड़कर वाराणसी के ही होकर रह गए हैं। पीएम मोदी लगातार तीसरी बार वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं।2014 ईस्वी में वाराणसी और बड़ोदरा दोनों जगह से चुनाव में जीत हासिल करने के बाद बड़ोदरा सीट को खाली करने के बाद जब उनसे यह सवाल किया गया था कि आपको चुनाव लड़ने के लिए वाराणसी किसने बुलाया ? तो इसके जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि न तो वे खुद वाराणसी आए हैं ,और ना ही उन्हें किसी ने बुलाया है।मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है और अब वह कह रहे हैं की मां गंगा ने मुझे गोद लिया है।ऐसे में उन्होंने अपनी मां गंगा की नगरी वाराणसी से लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना नामांकन का पर्चा भर दिया है।
महाराष्ट्र के सीएम व आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम पहुंचे वाराणसी
उधर पीएम मोदी के नामांकन के मौके पर गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, सीएम योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ सिंदे, आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्राबाबू नायडू, एक्टर पवन कल्याण, सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल वाराणसी कलेक्ट्रेट पहुंच चुकी थीं। इसके अलावा कई अन्य सांसद और मंत्री भी पीएम मोदी के नामांकन के मौके पर वाराणसी पहुंच रहे हैं। पीएम जिस रास्ते से कलेक्ट्रेट जा रहे थे, उस रास्ते पर उनके समर्थक इकठ्ठा हो गए थे।
पुष्य नक्षत्र में किया नामांकन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से अपना नामांकन पुष्य नक्षत्र में किया है। पुष्य नक्षत्र सत्ताइस नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र है।सभी नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को सबसे अच्छा माना जाता है।पुष्य नक्षत्र के देवता गुरु बृहस्पति हैं। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है और इसकी राशि कर्क है। शादी-विवाह को छोड़कर सभी मांगलिक शुभ कार्यों में पुष्य नक्षत्र का विशेष महत्व है।ज्योतिष शास्त्रों में पुष्य नक्षत्र को अनेक दोषों को दूर करने वाला, शुभ कार्य उद्देश्यों में निश्चित सफलता प्रदान करने वाला एवं बहुमूल्य वस्तुओं की खरीददारी के लिए सबसे श्रेष्ठ और शुभ फलदायी माना गया है।
नामांकन के लिए सर्वोत्तम ग्रहों की स्थिति
पीएम नरेंद्र मोदी की कुंडली के अनुसार नामांकन के लिए 14 मई को ग्रहों कीसर्वोत्तम स्थिति बन रही है। भौमवार को पुष्य नक्षत्र पद, प्रतिष्ठा और ऐश्वर्ययोग बना रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग पुष्य नक्षत्र में 13 मई को 11.23 बजे से 14 मई को शाम 5.49 बजे तक रहेगा। आश्र्लेषा नक्षत्र 14 मई को 1.05 बजे से 15 मई को सुबह 5.49 बजे तक रहेगा। अमृत काल सुबह 6.13 बजे से 7.56 बजे तक रहेगा।सूर्य 14 मई को 5.55 तक मेष राशि में रहेगा और वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे।राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का मुर्हूत निकालने वाले पंडित गणेश्वर द्राविड़ के अनुसार राहुकाल दिन में 3.39 बजे से 5.18 बजे तक रहेगा। माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र में यदि किसी काम को किया जाए तो उसमें निश्चित सफलता मिलती है।