न्यूज़ डेस्क
यह भी देश का ऐतिहासिक घटना ही है जब देश की 19 प्रमुख पार्टियों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है। लोकतंत्र के इतिहास की यह बड़ी घटना है। रनाये संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होना है। प्रधानमंत्री मोदी इस भवन का उद्धघाटन करेंगे। विपक्षी दल लगातार यह कहते रहे हैं कि संसदीय परम्परा के मुताबिक संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए। लेकिन बीजेपी विपक्ष की इस मांग को नकारती रही है।
अब देश के 19 दलों ने साझा बयान जारी कर इस उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है। बयान में कहा गया है कि लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है। हमें इस इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता है। इसलिए हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है। हम इस निरंकुश प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।
इसमें संसद भवन के उद्घाटन को महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए कहा गया है कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है और निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया। बावजूद इसके, हम इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपने मतभेदों को दूर करने को तैयार थे। लेकिन जिस तरह से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए जिस तरह से नई संसद बिल्डिंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री से कराने का निर्णय लिया गया, वह राष्ट्रपति पद का न केवल अपमान है, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
संविधान के अनुच्छेद 19 का हवाला देते हुए बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति न केवल भारत में राज्य का प्रमुख होता है, बल्कि संसद का एक अभिन्न अंग भी होता है। वह संसद को बुलाते हैं, सत्रावसान करते हैं और संबोधित करते हैं। संक्षेप में, राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है। फिर भी प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन उद्घाटन करने का फैसला लिया है। यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान है और संविधान के पाठ और भावना का उल्लंघन है।
बयान में कहा गया है संसद को लगातार खोखला करने वाले प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है। नया संसद भवन सदी में एक बार आने वाली महामारी के दौरान बड़े खर्च पर बनाया गया है, जिसमें भारत के लोगों या सांसदों से कोई परामर्श नहीं किया गया है, जिनके लिए बनाया जा रहा है।
जिन पार्टियों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है उनमे शामिल है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस (मणि),विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, ,राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआईएम), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कांफ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मारुमलार्थी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम। (एमडीएमके)


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