न्यूज़ डेस्क
इस बार की जीत के बाद पीएम मोदी दुनिया के देशों में भारत का दबदबा बनाने को तैयार हैं। तीसरी बार पीएम बनने के बाद G-7 शिखर सम्मेलन से लेकर कई बड़े अहम ग्लोबल इवेंट्स इस बार भारत की मौजूदगी की गवाही बनेंगे और वैश्विक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को विश्व भर में फैलाने की पहल करेंगे।
पिछले एक दशक में भारत एक मजबूत आवाज बनकर उभरा है। पीएम मोदी ने ‘विश्व बंधु’ दृष्टिकोण के साथ भारत को ‘वैश्विक दक्षिण की आवाज’ के रूप में स्थापित करने को प्राथमिकता दी है। G-20 शिखर सम्मेलन भारत की अध्यक्षता में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की थीम के साथ आयोजित किया गया था। अब मोदी 3.0 के कार्यभार संभाल चुके हैं और हाल के महीनों में होने वाले इन ग्लोबल इवेंट्स में हिस्सा लेने का उनका कैलेंडर भी तैयार हो गया है।
भारत की विदेश नीति के लिए पहला कार्यभार ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक के साथ आएगा जो 10-11 जून को रूस के निज़नी नोवगोरोड में होने वाली है, जिसमें सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की भागीदारी होगी।
ब्रिक्स एक अंतरसरकारी संगठन है जिसमें 10 देश शामिल हैं। जो ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। 5 नए देश मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात पिछले साल ही पूर्ण सदस्य के तौर पर इस ग्रुप में शामिल हुए हैं।
रूस ने 1 जनवरी, 2024 को ब्रिक्स की अध्यक्षता संभाली है।भारत के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में कहा था कि ब्रिक्स एक अहम मंच है और भारत इस साल ब्रिक्स अध्यक्ष के तौर पर रूस की आयोजित बैठकों में भाग लेने के लिए उत्सुक है।
भारत के लिए अगला बड़ा कार्यभार इटली में 13 से 15 जून तक होने वाले G-7 शिखर सम्मेलन 2024 के साथ आएगा। प्रधानमंत्री मोदी खुद इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। बता दें कि इटली की पीएम जियोर्जिया मेलोनी ने अप्रैल में प्रधानमंत्री मोदी को शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया था।
ग्रुप ऑफ सेवन यानी G-7 एक ऐसा मंच है जो इटली, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका को एक साथ लाता है। यूरोपीय संघ भी समूह में भाग लेता है और शिखर सम्मेलन में यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष की तरफ से प्रतिनिधित्व किया जाता है। इटली ने इस साल 1 जनवरी को सातवीं बार G7 की अध्यक्षता हासिल की।
स्विट्जरलैंड में वैश्विक शांति शिखर सम्मेलन का उद्देश्य रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए एक रास्ता तैयार करना है। ये एक बड़ा वैश्विक कार्यक्रम है जो 15-16 जून को होने वाला है। ये ध्यान देने वाली है कि अभी भारत ने इसमें अपनी मौजूदगी को लेकर पुख्ता जानकारी नहीं दी है।
हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्रालय ने ये कहा था कि भारत को स्विस पक्ष से निमंत्रण मिला है, लेकिन भागीदारी को लेकर फैसला अभी नहीं हुआ है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगी। चो चीन ने कहा है कि वो इस समिट में शामिल नहीं होगा। बता दें कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस बात की पुष्टि की है कि इस शिखर सम्मेलन में 106 देशों हिस्सा लेंगे।
एससीओ यानी शंघाई सहयोग संगठन का शिखर सम्मेलन इस साल के आखिरी में कजाकिस्तान में होगा। भारत ने इस साल की शुरुआत में एससीओ के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री की बैठक में भाग लिया था। विदेश मंत्रालय के सचिव दम्मू रवि ने एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया और रक्षा सचिव गिरिधर अरामाने ने एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लिया।
जून 2001 में शंघाई में स्थापित एससीओ एक अंतरसरकारी संगठन है जो खास तौर पर क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं और आतंकवाद, जातीय अलगाववाद और धार्मिक उग्रवाद से निपटने के लिए है। 2023 में भारत के पास एससीओ की अध्यक्षता थी। 4 जुलाई, 2023 को वर्चुअल तरीके से ये समिट हुई थी।